नयी दिल्ली : अगले साल यानी 2019 में होने वाले आम चुनाव को लेकर सत्ताधारी दल भाजपा के खिलाफ राजनीतिक गोलबंदी एक बार फिर तेज हो गयी है. इस राजनीतिक गोलबंदी में एक ओर जहां राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां महागठबंधन को लेकर माथापच्ची कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर देश के छोटे स्तरीय दल खुद को बड़ी राजनीतिक पार्टियों में विलय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
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राजनीतिक गोलबंदी के इसी सिलसिले में मंगलवार को दलितों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन बामसेफ की राजनीतिक इकाई बहुजन मुक्ति पार्टी (बीएमपी) का मंगलवार को औपचारिक तौर पर शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) में विलय हो गया. दोनों पार्टियों के विलय की औपचारिक घोषणा करते हुए शरद यादव ने कहा कि बहुजन मुक्ति पार्टी वंचित और मेहनतकश लोगों की पार्टी रही है.
उन्होंने कहा कि देश की विकट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विलय करने का असाधारण कदम उठाया गया है. दोनों पार्टी के विलय से 2019 के चुनाव में दलित, वंचित, किसान, बेरोजगार और महिलाओं के हक की लड़ाई के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ गोलबंदी तेज होगी. मोदी सरकार पर हमला करते हुए यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले चार साल में सिर्फ धार्मिक उन्माद फैलाने का काम किया है. देश में भीड़ के द्वारा हत्याएं बढ़ रही है.
उन्होंने कहा कि दलित और आदिवासियों के खिलाफ अपराध बढ़ा है. जानवरों के नाम पर दलितों को परेशान किया जा रहा है. भारत के संविधान को लगातार कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. असम नेशनल रजिस्टर का मामला उठाते हुए शरद यादव ने कहा कि मानवीय पहलू को दरकिनार कर 40 लाख लोगों को अवैध नागरिक करार दिया गया है. ऐसा धार्मिक आधार पर विभाजन के लिए किया गया है. ऐसे संवेदनशील मसले के लिए संसदीय समिति का गठन किया जाना चाहिए.
इस मौके पर बहुजन मुक्ति पार्टी के प्रमुख बीएल मतंग ने कहा कि हम वंचितों की आवाज उठाते रहे हैं. वरिष्ठ नेता शरद यादव लगातार संसद और संसद के बाहर मुखरता से वंचित समाज के हक के लिए अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं. ऐसे में पार्टी ने सैद्धांतिक तौर पर फैसला लिया कि इस वर्ग की लड़ाई शरद यादव के नेतृत्व में लड़ी जानी चाहिए. इसलिए पार्टी का विलय लोकतांत्रिक जनता दल में किया गया है. उन्होंने कहा कि कांशीराम के बाद सिर्फ शरद यादव ऐसे नेता रहे हैं, जिनपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा है.
शरद यादव ने कहा कि केंद्र सरकार की दलित विरोधी नीतियों के कारण दलित संगठनों ने 9 अगस्त को भारत बंद बुलाने का फैसला लिया है. सभी राजनीतिक दल इस बंद का समर्थन करेंगे. अगर सरकार अध्यादेश ले आती है, तो बंद को वापस लेने की अपील की जायेगी. उन्होंने मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में 29 लड़कियों के बलात्कार की घटना का शर्मनाक बताते हुए कहा कि यह सरकारी तंत्र की विफलता है. इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की जानी चाहिए ताकि असली दोषियों को सजा दी सके.