नयी दिल्ली : राज्यसभा के सभापति एम वैंकेया नायडू ने गुरुवार को व्यवस्था दी कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर मंगलवार को उच्च सदन में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बारे में असंसदीय भाषा के प्रयोग नहीं किया गया.
कांग्रेस के आनंद शर्मा ने गत मंगलवार को नियम 235 के तहत सभापति के समक्ष व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा था कि शाह के वक्तव्य में असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किये जाने के चलते इसे सदन की कार्यवाही से हटाया जाए. उन्होंने कहा था कि शाह को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. नायडू ने आज सदन की बैठक शुरू होने पर बताया कि उन्होंने शाह के वक्तव्य को पूरी तरह सुना. शाह ने अपने बयान में कहीं भी असंसदीय शब्द या अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल नहीं किया है.
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उल्लेखनीय है कि मंगलवार को एनआरसी के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान शाह ने असम में एनआरसी को 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा हस्ताक्षरित असम समझौते की उपज बताया था. उन्होंने एनआरसी में देरी के लिये कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था. इस पर सदन में कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने सदन में जमकर हंगामा किया. इसकी वजह से शाह अपना वक्तव्य पूरा नहीं कर पाये.
नायडू ने शाह के वक्तव्य में आपत्तिजनक असंसदीय शब्द नहीं पाये जाने के आधार पर शर्मा द्वारा उठाये गये व्यवस्था के प्रश्न को निस्तारित कर दिया. नायडू ने कहा ‘‘मैंने रिकॉर्ड को देखा और यह पाया कि शाह ने अपने वक्तव्य में राजीव गांधी के अलावा किसी अन्य प्रधानमंत्री का जिक्र नहीं किया था. जो कुछ भी शाह ने कहा था वह तथ्य का विषय था.”