नयी दिल्ली : गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज राज्यसभाअसममेंनागरिकताविवाद पर बयान दिया औरतथ्यों के हवाले से सरकार व विपक्ष पर हमला भी बोला. राजनाथ ने कहा कि यह काम राजीव गांधी के समय शुरू हुआ और मनमोहन सिंह ने इसे आगे बढ़ाया.उन्होंने कहा कि नरेंद्रमोदी सरकार के कार्यकाल मेंसुप्रीमकोर्ट कीनिगरानीमें काम हुआहै.राजनाथकेबयान पर आजराज्यसभा में मनमोहन सिंह ने बोलने से इनकार कर दिया.सभापति वेंकैयानायडू ने गृहमंत्री के बयान के बाद पूर्व प्रधानमंत्री से यह पूछा कि क्या वे इसपरकुछ कहना चाहेंगे?
दुष्प्रचार कर रहे हैं, सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने का प्रयास
राजनाथ सिंह ने आज कहा कि हाल ही में जारी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के दूसरे मसौदे को लेकर कुछ लोग डर का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं वहीं निहित स्वार्थ वाले लोग सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार कर रहे हैं ताकि देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ा जा सके तथा मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण किया जा सके. उन्होंने आश्वासन दिया कि एनआरसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है तथा इसमें किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा रहा है. गृह मंत्री ने एनआरसी मुद्दे पर उच्च सदन में मंगलवार को हुई चर्चा का आज जवाब देते हुए यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद अफसोस की बात है कि कुछ लोग अनावश्यक रूप से डर का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. इस मामले में गलतफहमियां भी फैलाने का प्रयास किया जा रहा है. कुछ निहित स्वार्थ वाले लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार किया जा रहा है ताकि मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण किया जा सके और सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ा जा सके.’ उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रयास राष्ट्रविरोधी हैं और उनका हर तरह से विरोध किया जाना चाहिए.
अंतिम एनआरसी नहीं, यह मसौदा है, दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी : गृहमंत्री
राजनाथ सिंहने विभिन्न सदस्यों की चिंता को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि यह अंतिम एनआरसी नहीं है, यह मसौदा है. उन्होंने कहा कि अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के पहले सभी लोगों को कानूनी प्रावधानों के अनुरूप दावा करने का पर्याप्त मौका मिलेगा. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी. सिंह ने एनआरसी की पूरी प्रकिया को पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ बताया तथा कहा कि इसमें किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि यदि कोई इस प्रकार के आरोप लगाता है तो यह गैर-जिम्मेदाराना और दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि एनआरसी की पूरी प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार चलायी जा रही है और न्यायालय इसकी लगातार निगरानी कर रहा है. सिंह ने कहा कि भारत तथा असम की सरकारें प्रतिबद्ध हैं कि समयबद्ध तरीके से सभी वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम एनआरसी में शामिल किए जाएं. उन्होंने कहा कि असम तथा देश के अन्य राज्यों से आए नागरिकों को समान माना जाएगा. उन्होंने कहा कि सारी अपेक्षित छानबीन और सत्यापन के बाद ही मसौदा तैयार किया गया है.
इसमें उन लोगों तथा उनके वंशजों के नाम शामिल हैं जिनके नाम 24 मार्च 1971 तक की मतदाता सूची या एनआरसी 1951 में दर्ज थे. उन्होंने कहा कि भूमि रिकार्ड, पासपोर्ट, जीवन बीमा पालिसी, सहित 12 दस्तावेजों को मंजूरी प्रदान की गयी है. सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात से बड़ी निराशा हुई कि कुछ जिम्मेदार पदों पर आसीन लोगों ने ऐसे बयान दिए जो भड़काऊ औरर उत्तेजना पैदा करने वाले थे. उन्होंने कहा कि यह विषय भारत की सुरक्षा से जुड़ा है और सभी से उम्मीद की जाती है कि वे राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखें.
राजीव गांधी के समय शुरू हुआ था काम, मनमोहन सिंह ने आगे बढ़ाया
उन्होंने कहा कि एनआरसी की प्रक्रिया का प्रारंभ तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा किये गये असम समझौते के अंतर्गत हुआ था. बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शासनकाल में इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया. उन्होंने इस क्रम में एनआरसी की पृष्ठभूमि और इससे जुड़े महत्वपूर्ण घटनाक्रम का उल्लेख किया. उल्लेखनीय है कि 3.29 लाख लोगों ने एनआरसी के लिए आवेदन किया था और 2.89 करोड़ लोगों के नाम 30 जुलाई को जारी मसौदा में शामिल किए गए. इस प्रकार करीब 40 लाख लोगों के नाम मसौदा एनआरसी में शामिल नहीं हुए. इस मुद्दे को लेकर देश भर में एक बड़ा राजनीतिक विवाद शुरू हो गया. उच्च सदन में गत मंगलवार को एनआरसी मुद्दे पर चर्चा हुई थी. चर्चा के दौरान भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने यह दावा किया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने एनआरसी की प्रक्रिया को पूरा करने की हिम्मत नहीं दिखायी तथा वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने इस मामले में हिम्मत दिखाते हुए इस काम को आगे बढ़ाया. उनकी इस टिप्पणी का कांग्रेस सहित विपक्ष के कई सदस्यों ने विरोध किया और सदन की कार्यवाही बाधित हुई. पिछले दो दिनों से उच्च सदन में इस मुद्दे को लेकर व्यवधान बना हुआ था.
मनमोहन ने सदन में राजनाथ के बयान पर बोलने से किया इनकार
गृह मंत्री राजनाथ सिंह के जवाब के बाद अधिकतर सदस्यों ने उनके बयान का स्वागत किया. कुछ सदस्यों ने उनसे स्पष्टीकरण पूछे वहीं कुछ ने अपने अपने सुझाव दिए. सभापति एम वेंकैया नायडू ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पूछा कि वह इस मुद्दे पर कुछ बोलना चाहेंगे क्योंकि गृह मंत्री ने अपने बयान में उनका नाम लिया है, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री ने इनकार कर दिया.
सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग
कांग्रेस के रिपुन बोरा ने असम में बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों को हो रही परेशानी का जिक्र किया और मांग की कि एनआरसी से जुड़े दिशा-निर्देशों में संशोधन किया जाना चाहिए. उन्होंने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर भी सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की भी मांग की. कांग्रेस के ही भुवनेश्वर कलिता ने सवाल किया कि क्या इस मुद्दे पर सरकार ने बांग्लादेश के साथ कोई चर्चा की है. राजद के मनोज कुमार झा ने कहा कि जिन लोगों के नाम मसौदा एनआरसी में नहीं शामिल हो पाए हैं, उन्हें घुसपैठिए नहीं कहा जाए. वहीं भाकपा के डी राजा ने सवाल किया कि इस मामले में तय की गयी समय सीमा को क्या बढाया जाएगा.
एनआरसी राष्ट्रीय मुद्दा, मानवाधिकार का विषय : डेरेक ओ ब्रायन
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह सिर्फ असम का नहीं बल्कि राष्ट्रीय मुद्दा है और यह मानवाधिकार का विषय भी है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और पार्टी दोनों अलग अलग बातें कर रही हैं. विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सुरक्षा, संप्रभुता आदि के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सका. एनआरसी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सेना और वायुसेना में लंबे समय तक काम कर चुके लोगों के भी नाम मसौदे में शामिल नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि प्रक्रिया में गड़बड़ी हो सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार और पार्टी की बातों में अंतर है और दोनों को एक ही भाषा में बात करनी चाहिए.
राकांपा के माजिद मेमन, सपा के जावेद अली खान, माकपा के टीके रंगराजन, अन्नाद्रमुक की विजिला सत्यानंद, मनोनीत स्वप्न दासगुप्ता, कांग्रेस के आनंद शर्मा आदि सदस्यों ने भी इस बारे में सरकार से विभिन्न स्पष्टीकरण पूछते हुए अपने विचार रखे. समय नहीं होने का जिक्र करते हुए सभापति नायडू ने गृहमंत्री सिंह को निर्देश दिया कि वह विभिन्न सदस्यों के सवालों का जवाब भेज दें. इसके बाद सदन में प्रश्नकाल हुआ.