Forest Guards और रेंजरों की कमी से जूझ रहा है कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व
ऋषिकेश : रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई हाथियों के प्राकृतिक निवास स्थान के रूप में विश्वविख्यात उत्तराखंड के कॉर्बेट एवं राजाजी टाइगर रिजर्व वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए जरूरी माने जाने वाले फ्रंटलाइन स्टाफ यानि फॉरेस्ट गार्ड और रेंजरों की संख्या की कमी से जूझ रहे हैं. दोनों रिजर्वों के अधिकारियों के मुताबिक, […]
ऋषिकेश : रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई हाथियों के प्राकृतिक निवास स्थान के रूप में विश्वविख्यात उत्तराखंड के कॉर्बेट एवं राजाजी टाइगर रिजर्व वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए जरूरी माने जाने वाले फ्रंटलाइन स्टाफ यानि फॉरेस्ट गार्ड और रेंजरों की संख्या की कमी से जूझ रहे हैं. दोनों रिजर्वों के अधिकारियों के मुताबिक, उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कार्बेट टाइगर रिजर्व और हरिद्वार जिले में स्थित राजाजी टाइगर रिजर्व में फॉरेस्ट गार्ड, रेंजर और वन सेक्शन अधिकारियों वाला फ्रंटलाइन स्टाफ 42 फीसदी कम है.
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वनों की व्यवस्था की मुख्य धुरी रेंजर को माना जाता है और दोनों रिजर्वों की 33 वन रेंज में 13 रेंजर के पद खाली पड़े हैं. इन दोनों रिजर्वों में रेंजर की कमी को डिप्टी रेंजर से और फॉरेस्ट गार्ड की कमी को वन विभाग के 500 दिहाड़ी मजदूरों से कुछ हद तक कम किया जा रहा है. अपनी विशिष्ट जैव विविधता और टेरेन के लिए विश्व प्रसिद्ध दोनों टाइगर रिजर्व में उत्तराखंड का 2122.3 वर्ग किलोमीटर का आरक्षित वन क्षेत्र आता है.
इस संबंध में पूछे जाने पर राजाजी टाइगर रिज़र्व के निदेशक सनातन सोनकर ने बताया कि राजाजी में फ्रंटलाइन स्टाफ यानि फॉरेस्ट गार्ड की करीब 42 फीसदी कमी है. उन्होंने बताया कि शासन से स्वीकृत 149 फॉरेस्ट गार्ड के पदों के सापेक्ष मौजूदा वक्त में केवल 86 वन रक्षक उपलब्ध हैं, जबकि वन दरोगा के स्वीकृत 49 पदों के सापेक्ष 53 उपलब्ध हैं, जो चार ज्यादा है.
उन्होंने बताया कि रेंजर्स के 14 स्वीकृत पदों के सापेक्ष दस रेंजर ही उपलब्ध हैं. राजाजी टाइगर रिजर्व के 854 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 2017 की वन्यजीव गणना के मुताबिक, 34 बाघ और 360 हाथियों सहित अनेक प्रजाति के वन्य जीव हैं, जिनकी रक्षा का दायित्व इस स्टाफ पर है. हालांकि, सोनकर ने कहा कि जल्द ही वन रक्षकों की कमी दूर हो जायेगी. फिलहाल, रिजर्व में 200 दिहाड़ी मजदूर भी कार्यरत हैं.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल ने भी कॉर्बेट में फ्रंटलाइन स्टाफ अर्थात फॉरेस्ट गार्ड्स की करीब 42 फीसदी कमी को स्वीकार किया है. उन्होंने बताया कि कॉर्बेट के 1288.3 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 16 वन रेंज हैं, जिसमें नौ रेंजर्स कम हैं. इनमें 2017 की वन्य जीव गणना के मुताबिक, 204 बाघ और 1080 हाथियों सहित अनेक जीवों की मौजूदगी वाले कॉर्बेट में भी वन्य जीवों की रक्षा के लिए मौजूदा स्टाफ के अलावा करीब 300 दिहाड़ी मजदूरों से काम चलाया जा रहा है.
राहुल ने बताया कि फॉरेस्ट गार्ड से वन दारोगा के पदों पर प्रोन्नति से अचानक विभाग में वन रक्षकों की उपलब्धता घट गयी है, लेकिन अब वन विभाग में वन रक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया तेजी से चल रही है और इसलिए कुछ इंतजार के बाद व्यवस्था बेहतर हो जायेगी.