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चोरी के Literature पर PhD कराया, तो नौकरी से हाथ धो देंगे Professor साहेब और Student…

नयी दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साहित्यिक चोरी पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नये नियमों को मंजूरी दे दी है. ऐसे में साहित्यिक की चोरी के दोषी पाये गये शोधार्थी का पंजीकरण रद्द हो सकता है. इसके साथ ही, चोरी के साहित्य पर शोध कराने वाले अध्यापकों की नौकरी भी जा सकती […]

नयी दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साहित्यिक चोरी पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नये नियमों को मंजूरी दे दी है. ऐसे में साहित्यिक की चोरी के दोषी पाये गये शोधार्थी का पंजीकरण रद्द हो सकता है. इसके साथ ही, चोरी के साहित्य पर शोध कराने वाले अध्यापकों की नौकरी भी जा सकती है. मंत्रालय ने यूजीसी (उच्चतर शिक्षा संस्थानों में अकादमिक सत्यनिष्ठा और साहित्य चोरी की रोकथाम को प्रोत्साहन) विनियम, 2018 को इस हफ्ते अधिसूचित कर दिया.

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यूजीसी ने इस साल मार्च में अपनी बैठक में नियमन को मंजूरी देते हुए साहित्यिक चोरी (प्लेगरिज्म) के लिए दंड का प्रावधान किया. गजट अधिसूचना के मुताबिक, छात्रों के लिए 10 फीसदी तक साहित्यिक चोरी पर कोई दंड का प्रावधान नहीं है, जबकि 10 फीसदी से 40 फीसदी के बीच साहित्यिक चोरी पाये जाने पर छह महीने के भीतर संशोधित शोधपत्र पेश करना होगा. इसी तरह, 40 से 60 फीसदी समानताएं मिलने पर छात्रों को एक साल के लिए संशोधित पेपर जमा करने से रोक दिया जायेगा. इससे ऊपर के मामले में पंजीकरण रद्द कर दिया जायेगा.

वहीं, यूजीसी की इस अधिसूचना में अध्यापकों के लिए भी दंड का प्रावधान किया गया है. 10 फीसदी से 40 फीसदी तक समानता पर पांडुलिपि वापस लेने को कहा जायेगा. 40 से 60 फीसदी समानता पर दो वर्ष की अवधि के लिए पीएचडी छात्र का पर्यवेक्षण करने से रोक दिया जायेगा और एक वार्षिक वेतन वृद्धि के अधिकार से वंचित किया जायेगा. साठ फीसदी से अधिक समानता पर उनके खिलाफ निलंबन या सेवा समाप्ति का भी कदम उठाया जा सकता है.

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