सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक मामलों की सुनवाई के Live Telecast के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि ‘संवैधानिक महत्व’ के मामलों में न्यायिक कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण किया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल से इसके अवलोकन और मंजूरी के लिए ‘समग्र’ दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2018 9:21 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि ‘संवैधानिक महत्व’ के मामलों में न्यायिक कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण किया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल से इसके अवलोकन और मंजूरी के लिए ‘समग्र’ दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की सदस्यतावाली पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह समेत सभी पक्षकारों से कहा कि वे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को अपने-अपने सुझाव दें. इंदिरा जयसिंह ने राष्ट्रीय महत्व के मामलों में कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए जनहित याचिका दायर की है. पीठ ने कहा कि शीर्ष कानूनविद इन सुझावों पर विचार करेंगे और अदालत के अवलोकन एवं मंजूरी के लिए समग्र दिशा-निर्देश तैयार करेंगे. वेणुगोपाल ने कहा कि ये दिशा-निर्देश सरकार के पास भी भेजे जायेंगे ताकि सरकार इसका अवलोकन करके अपने सुझाव भी दे. इसके लिए उन्होंने अदालत से दो सप्ताह का समय मांगा. पीठ ने अगली सुनवाई के लिये 17 अगस्त की तारीख तय की है.

केंद्र ने कहा था कि न्यायिक प्रक्रियाओं की वीडियो रिकॉर्डिंग और लाइव स्ट्रीमिंग को प्रधान न्यायाधीश की अदालत में संवैधानिक मामलों की सुनवाई के दौरान प्रायोगिक तौर पर शुरू किया जा सकता है. वेणुगोपाल ने पीठ को यह भी बताया कि न्यायिक प्रक्रियाओं की लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग की प्रायोगिक परियोजना को प्रयोग के आधार पर शुरू किया जा सकता है. जयसिंह ने अपनी याचिका में संवैधानिक एवं राष्ट्रीय महत्ववाले मामलों के सीधे प्रसारण का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि नागरिकों को यह जानने का अधिकार है और इसके लिए संवैधानिक एवं राष्ट्रीय महत्ववाले मामलों का सीधा प्रसारण किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में यह प्रणाली काम कर रही है और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय समेत अदालती कार्यवाहियों की लाइव स्ट्रीमिंग यू-ट्यूब पर उपलब्ध है.

उन्होंने कहा कि अगर शीर्ष अदालत की कार्यवाहियों की लाइव स्ट्रीमिंग संभव है, तो वीडियो रिकॉर्डिंग की इजाजत होनी चाहिए. वरिष्ठ अधिवक्ता के अनुसार संवैधानिक एवं राष्ट्रीय महत्व वाले उच्चतम न्यायालय के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग का जनता पर व्यापक असर पड़ने की संभावना है और इससे जनता सशक्त होगी तथा यह उन नागरिकों को पहुंच प्रदान करेगा जो अपने सामाजिक-आर्थिक बाध्यताओं के कारण निजी तौर पर अदालत नहीं आ सकते हैं. कानून के एक छात्र ने एक याचिका दायर कर शीर्ष अदालत परिसर के अंदर लाइव स्ट्रीमिंग कक्ष स्थापित करने और कानून की पढ़ाई करनेवाले सभी इंटर्न को पहुंच प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देश की मांग की है. जोधपुर में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र स्वप्निल त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका में इंटर्न छात्रों के लिए इन कार्यवाहियों को देखने की सुविधा प्रदान करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश देने को कहा गया है.

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