नयी दिल्ली : कारोबारी मेहुल चोकसी को एंटीगुआ की नागरिकता मिलने पर बवाल मचा है. कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सरकार निशाना साधा, तो अब एंटीगुआ भी इस मामले में नये सवाल खड़े कर रहा है. एंटीगुआ ने भारतीय सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, भारतीय अधिकारी, सेबी या सीबीआई ने मेहुल चोकरी की नागरिकता को लेकर किसी प्रकार की अपील नहीं की.
उन्होंने एंटीगुआ को नागरिकाता देने के लिए नहीं रोका. मेहुल ने पिछले साल नागरिकता के लिए आवेदन दिया था. एंटीगुआ के इस दावे को सरकार ने खारिज कर दिया है. सरकार ने एक बयान जारी करते हुए कहा, दो देशों के बीच जो समझौता हुआ है उसका पालन करते हुए आप उसे वापस भेजिये.
एंटीगुआ में निवेशक इकाई ( (CIU) ने कहा, जिस वक्त चोकसी ने नागरिकता के लिए मई 2017 में आवेदन किया था. कानून के आधार पर उन्हें पुलिस की अनुमति पत्र चाहिए थी. उन्होंने पुलिस की तरफ से जारी की गयी अनुमति प्रमाण पत्र जमा किया जो एंटीगुआ की नागरिकता के लिए जरूरी थी. यह प्रमाण पत्र क्षेत्रीय पोसपोर्ट ऑफिस मुंबई से जारी किया गया.
इसके अलावा उनकी नागरिकता के आपत्ति को लेकर भी भारत सरकार की तरफ से भी कोई सूचना नहीं दी गयी. एंटीगुआ का कहना है कि चोकसी अब उनका नागरिक है. अगर भारत चाहे तो वह चोकसी को भारत भेज सकता है अगर आधिकारिक तरीके से चोकसी को कानूनी सुनवाई के लिए बुलाया जाए.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान जारी कहा कि एंटीगुआ की ‘सिटिजनशिप इन्वेस्टमेंट यूनिट’ एक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया था, जिसमें कहा गया है कि मई, 2017 में भारतीय विदेश मंत्रालय ने मेहुल चोकसी को नागरिकता देने के लिए ‘क्लीन चिट’ प्रमाण पत्र जारी किया था. सुरजेवाला ने एक एंटीगुआ की ‘सिटिजनशिप इन्वेस्टमेंट यूनिट’ की एक प्रति जारी करते हुए यह दावा किया कि ‘क्लीन चिट’ प्रमाण पत्र में स्पष्ट किया गया था कि चोकसी को लेकर कोई ‘प्रतिकूल सूचना’ नहीं है.
उन्होंने सवाल किया कि अप्रैल, 2018 में एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन के साथ मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चोकसी का नागरिकता दिये जाने का मुद्दा क्यों नहीं उठाया, जबकि उसे इस साल चार जनवरी को नागरिकता प्रदान कर दी गयी थी. उधर, चोकसी के संबंध कांग्रेस के साथ होने के उनके वकील के कथित दावे पर भाजपा ने गुरुवार को विपक्षी दल से जवाब मांगा था.