देश की 25 करोड़ एससी-एसटी आबादी को न्याय दिलाने के लिए सरकार बिल लेकर आयी : भाजपा
नयी दिल्ली : कांग्रेस ने आज लोकसभा में आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक को चार महीने पहले अध्यादेश के रूप में लाया जा सकता था लेकिन सरकार चुनाव और जनता के दबाव में अब लेकर आई है . वहीं, भाजपा ने कहा कि यह संवेदनशील और जिम्मेदार सरकार […]
नयी दिल्ली : कांग्रेस ने आज लोकसभा में आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक को चार महीने पहले अध्यादेश के रूप में लाया जा सकता था लेकिन सरकार चुनाव और जनता के दबाव में अब लेकर आई है . वहीं, भाजपा ने कहा कि यह संवेदनशील और जिम्मेदार सरकार की पहल है और देश की 25 करोड़ एससी-एसटी आबादी को न्याय दिलाने के लिए यह विधेयक लेकर आई है.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक, 2018 को सदन में चर्चा और पारित करने के लिए रखते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका पर फैसले में विलंब को देखते हुए सरकार ने सोचा कि न्याय में देरी हो रही है और इसलिए कुछ दिन पहले कैबिनेट में विधेयक को मंजूरी दी गयी और शुक्रवार को इसे सदन में लाया गया.
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में फैसला लंबित है और इस बीच ऐसे मामलों में न्याय में देरी को देखते हुए मोदी सरकार विधेयक लेकर आई है. विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार तीन-चार महीने पहले इस विषय पर अध्यादेश लेकर आ सकती थी. जब वह इस बीच छह अध्योदश लाई तो सातवां अध्यादेश भी ला सकती थी.
खड़गे ने कहा कि सरकार कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए अध्यादेश पहले ही ले आती है लेकिन 25 करोड़ जनता के लिए विधेयक अब लेकर आई है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले में कानून में बदलाव किये जाने के बाद दो-तीन अप्रैल को देशभर में हुए आंदोलनों को देखने के बाद सरकार ने सोचा कि इससे चुनावों में नुकसान हो सकता है. इसके अलावा सरकार पर भाजपा के एससी-एसटी सांसदों का भी दबाव था, इसलिए विधेयक अब लाया गया है.