उपसभापति चुनाव : हरिवंश के सम्मान में आयोजित वेंकैया के भोज में आज नहीं शामिल होगी कांग्रेस

नयी दिल्ली : राज्यसभा के सभापति एवं उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सदन के नवनिर्वाचित उपसभापति हरिवंश के सम्मान में शुक्रवार सुबह एक भोज का आयोजन किया है. इस भोज में विभिन्न दलों को आमंत्रित किया है, लेकिनसूत्रों का कहना है कि मुख्य विपक्ष कांग्रेस ने इस भोज में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 10, 2018 8:38 AM

नयी दिल्ली : राज्यसभा के सभापति एवं उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सदन के नवनिर्वाचित उपसभापति हरिवंश के सम्मान में शुक्रवार सुबह एक भोज का आयोजन किया है. इस भोज में विभिन्न दलों को आमंत्रित किया है, लेकिनसूत्रों का कहना है कि मुख्य विपक्ष कांग्रेस ने इस भोज में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. दरअसल, कांग्रेस ने यह फैसला उपसभापति चुनाव में हार के कारण लिया है. दरअसल, इस चुनाव में विपक्षी एकता एक बार फिर बिखर गयी और उल्टे कांग्रेस नेतृत्व राहुल गांधी पर आम आदमी पार्टी ने सवाल उठा दिया. कल उपसभापति के रूप में हरिवंश के निर्वाचन के बाद सोनिया गांधी ने कहा था कि लोकतंत्र में कभी जीत तो कभी हार होती है.

वहीं, बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक ने जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार से मित्रता दिखाते हुए उनकी पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन करने का निर्णय लिया. उन्होंने इसके लिए जेपी की विचारधारा का अनुयायी होने का हवाला दिया. कई दलों ने अप्रत्यक्ष रूप से एनडीए के उपसभापति उम्मीदवार हरिवंश को समर्थन किया. स्थिति यहां तक पहुंच गयी कि कांग्रेस की इच्छा के बावजूद उसका कोई सहयोगी दल अपना उम्मीदवार देने को तैयार नहीं हुआ और अंतत: कांग्रेस को अपना उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को ही मैदान में उतारना पड़ा.

एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश को 125 वोट मिले, जबकि यूपीए के उम्मीदवार हरिप्रसाद को 105 वोट मिले. बीजद व के चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति ने हरिवंश का समर्थन किया. वहीं, बीजेपी से गठबंधन तोड़ चुकी महबूबा मुफ्ती की पीडीपी व अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सदन से अनुपस्थित रही.

राहुल गांधी की रणनीति पर उठे सवाल

राहुल गांधी ने स्वयं को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक चुनाव के दौरान पेश किया. हाल में कांग्रेस कार्यसमिति में पार्टी की नयी पीढ़ी के नेताओं ने उन्हें इस पद के लिए प्रोजेक्ट किया और कार्यसमिति ने गठबंधन के लिए सहयोगियों से बात करने के लिए उन्हें अधिकृत कर दिया. लेकिन, इस अहम जिम्मेवारी के बाद राहुल गांधी पहली ही परीक्षा में फेल हो गये. उन्होंने उपसभापति चुनाव में विपक्षी दलों को एकजुट रखने के लिए वैसी सक्रियता नहीं दिखायी, जैसी एनडीए खेमे में अमित शाह, राजनाथ सिंह व नीतीश कुमार ने दिखायी. आम आदमी पार्टी ने तो खुले तौर पर कह दिया कि राहुल गांधी ने हमारे नेता केजरीवाल को फोन कर वोट नहीं मांगा इसलिए वोट नहीं देंगे. आप ने तो यहां तक कहा कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गले लगा सकते हैं लेकिन केजरीवाल को फोन भी नहीं कर सकते हैं.

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