केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को नहीं कर सकते रिहा

नयी दिल्ली : केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह पूर्व पीएम राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती है क्योंकि इन मुजरिमों की सजा की माफी से ‘‘खतरनाक परंपरा” पड़ेगी और इसके ‘अंतरराष्ट्रीय नतीजे’ होंगे. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 10, 2018 12:18 PM

नयी दिल्ली : केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह पूर्व पीएम राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती है क्योंकि इन मुजरिमों की सजा की माफी से ‘‘खतरनाक परंपरा” पड़ेगी और इसके ‘अंतरराष्ट्रीय नतीजे’ होंगे. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने गृह मंत्रालय द्वारा इस संबंध में दायर दस्तावेज रिकार्ड पर लेने के बाद मामले की सुनवाई स्थगित कर दी.

शीर्ष अदालत ने 23 जनवरी को केंद्र सरकार से कहा था कि तमिलनाडु सरकार के 2016 के पत्र पर तीन महीने के भीतर निर्णय ले. राज्य सरकार राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों की सजा माफ करके उनकी रिहाई करने के निर्णय पर केन्द्र की सहमति चाहती है। राज्य सरकार ने इस संबंध में दो मार्च, 2016 को केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि राज्य सरकार ने इन सात दोषियों को रिहा करने का निर्णय लिया है परंतु शीर्ष अदालत के 2015 के आदेश के अनुरूप इसके लिये केंद्र की सहमति लेना अनिवार्य है.

केन्द्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव वी बी दुबे ने न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है, ‘‘केन्द्र सरकार, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 435 का पालन करते हुये तमिलनाडु सरकार के दो मार्च, 2016 के पत्र में इन सात दोषियों की सजा और माफ करने के प्रस्ताव से सहमत नहीं है.” मंत्रालय ने कहा कि निचली अदालत ने दोषियों को मौत की सजा देने के बारे में ‘‘ठोस कारण” दिये हैं.

मंत्रालय ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस हत्याकांड को देश में हुये अपराधों में सबसे घृणित कृत्य करार दिया था। मंत्रालय ने कहा कि चार विदेशियों, जिन्होंने तीन भारतीयों की मिलीभगत से देश के पूर्व प्रधान मंत्री और 15 अन्य की नृशंत हत्या की थी, को रिहा करने से बहुत ही खतरनाक परपंरा स्थापित होगी और भविष्य में ऐसे ही अन्य अपराधों के लिये इसके गंभीरतम अंतरराष्ट्रीय नतीजे हो सकते हैं. राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनाव सभा के दौरान एक आत्मघाती महिला ने विस्फोट करके हत्या कर दी थी. बाद में इस महिला की पहचान धनु के रूप में हुई. इस विस्फोट में धनु सहित 14 अन्य लोग भी मारे गये थे.

यह संभवत: पहला मामला था कि जिसमें विश्व के एक प्रमुख नेता की आत्मघाती विस्फोट से हत्या की गयी थी. इस हत्याकांड के सिलसिले में वी श्रीहरण उर्फ मुरूगन, टी सतेन्द्रराजा उर्फ संथम, ए जी पेरारिवलन उर्फ अरिवु, जयकुमार, राबर्ट पायस, पी रविचन्द्रन और नलिनी 25 साल से जेल में बंद हैं. शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी, 2014 को तीन मुजरिमों-मुरूगन, संथम और पेरारिवलन- की मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी थी क्योंकि उनकी दया याचिकाओं पर फैसला लेने में अत्यधिक विलंब हुआ था.

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