नयी दिल्ली, ब्यूरो : लोकसभा का मॉनसून सत्र शुक्रवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया. कामकाज के लिहाज से इस बार के मॉनसून सत्र को काफी सफल बताया जा रहा है. मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा की 17 दिनों की बैठक में कुल 112 घंटे तक कार्यवाही चली और इसमें कुल 21 विधेयक पारित किये गये.
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लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शुक्रवार को सदन की कार्यवाही अनिश्चतकालीन समय के लिए स्थगित करने से पहले कहा कि यह सत्र हाल ही के पिछले दो सार्थक सत्रों अर्थात बजट सत्र, 2018 का दूसरा भाग (11वां सत्र) और 2017 का मॉनसून सत्र (12वां सत्र) की तुलना में कहीं ज्यादा सार्थक रहा.
अविश्वास प्रस्ताव पर पौने बारह घंटे तक चली चर्चा
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के मुताबिक, इस सत्र के दौरान 17 बैठकें हुईं, जो 112 घंटे चलीं. इस दौरान टीडीपी सदस्य श्रीनिवास केसिनेनीर की ओर से पेश किये गये अविश्वास प्रस्ताव पर 20 जुलाई को 11 घंटे 46 मिनट की चर्चा चली और मतदान के बाद यह प्रस्ताव गिर गया. इस सत्र में महत्वपूर्ण वित्तीय, विधायी एवं अन्य कार्य निपटाये गये. वर्ष 2018-19 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों (सामान्य) एवं वर्ष 2015-16 के लिए अतिरिक्त अनुदानों की मांगें (सामान्य) पर चार घंटे 46 मिनट से अधिक की चर्चा हुई. इसके बाद इन्हें मतदान के लिए रखा गया एवं संबंधित विनियोग विधेयक पारित किये गये.
लोकसभा में पेश 22 विधेयकों में 21 पारित
मॉनसून सत्र में कुल 22 सरकारी विधेयक पेश किये गये, जिसमें से 21 विधेयक पारित कर दिये गये. इनमें राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्ज देने संबंधी संविधान (123वां संशोधन) विधेयक-2018 और सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मद्देनजर लाया गया अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक-2018 प्रमुख हैं.
समाज कल्याण से जुड़े पारित विधेयकों का वंचितों पर पड़ेगा व्यापक असर
दो प्रमुख विधेयकों का उल्लेख करते हुए सुमित्रा महाजन ने कहा कि इस सत्र में लोकसभा ने समाज कल्याण से जुड़े ऐसे विधेयक पारित किये, जिनका समाज के वंचित वर्गों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. जैसे संविधान (123वां संशोधन) विधेयक-2018 के पारित होने से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का मार्ग प्रशस्त हुआ है. इनके अतिरिक्त नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक-2017, भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक-2018, भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक-2018, व्यक्तियों का दुर्व्यवहार (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक-2018, दांडिक विधि (संशोधन) विधेयक-2018 और वाणिज्यिक न्यायालय, उच्च न्यायालय प्रभाग और वाणिज्यिक अपील प्रभाग (संशोधन) विधेयक-2018, राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय 2018 को भी लोकसभा ने मंजूरी प्रदान की.
75 तारांकित प्रश्नों के दिये गये जवाब
सुमित्रा महाजन के अनुसार, 17 दिनों तक चले मॉनसून सत्र के दौरान 75 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिये गये. शेष 285 तारांकित प्रश्नों के लिखित उत्तर 4140 अतारांकित प्रश्नों के उत्तरों के साथ सभा पटल पर रखे गये. सत्र में सदस्यों ने प्रश्नकाल के बाद और शाम को देर तक बैठकर अविलंबनीय लोक महत्व के लगभग 534 मामले उठाये. सदस्यों ने नियम 377 के तहत 326 मामले उठाये. स्थायी समितियों ने सभा में 62 प्रतिवेदन प्रस्तुत किये.
बाढ़ और सूखे की समस्या पर भी की गयी चर्चा
देश के विभिन्न भागों में बाढ़ एवं सूखे की स्थिति पर नियम 193 के तहत एक अल्पकालिक चर्चा भी हुई, जो संबंधित मंत्री के जवाब के साथ पूरी हुई. सत्र के दौरान संबंधित मंत्रियों द्वारा 1290 पत्र सभापटल पर रखे गये. सत्र में गैर-सरकारी सदस्यों के कार्य के अंतर्गत विभिन्न विषयों पर गैर-सरकारी सदस्यों के 128 विधेयक पेश किये गये. विंसेट पाला द्वारा नौवें सत्र के दौरान पांच अगस्त, 2016 को पेश किये गये संविधान की छठी अनुसूची (संशोधन)-2015 पर विचार किये जाने के प्रस्ताव को तीन अगस्त, 2018 को आगे चर्चा के लिए लिया गया. हालांकि, उस दिन चर्चा पूरी नहीं हुई.
हंगामे की वजह से करीब साढ़े आठ घंटे का मूल्यवान समय हुआ बर्बाद
इस सत्र में व्यवधानों और इसके परिणामस्वरूप किये गये स्थगनों के कारण आठ घंटे 26 मिनट का समय नष्ट हुआ तथा सभा ने 20 घंटे 43 मिनट देर तक बैठकर विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की