लोकसभा में निशिकांत दुबे ने उठाया आदिवासियों के धर्मांतरण का मामला
नयी दिल्ली, ब्यूरो : लोकसभा में शून्यकाल में गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने यह मामला उठाते हुए कहा कि देश के आदिवासी बहुल इलाकों में बड़े पैमाने पर धर्मपरिवर्तन हो रहा है. वर्ष 1901 के जनगणना के आंकड़े और 2011 के आंकड़ों की तुलना इस सच्चाई को बयां कर रहे हैं. उन्होंने कहा […]
नयी दिल्ली, ब्यूरो : लोकसभा में शून्यकाल में गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने यह मामला उठाते हुए कहा कि देश के आदिवासी बहुल इलाकों में बड़े पैमाने पर धर्मपरिवर्तन हो रहा है. वर्ष 1901 के जनगणना के आंकड़े और 2011 के आंकड़ों की तुलना इस सच्चाई को बयां कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ और उत्तर-पूर्व के राज्यों में आदिवासी बड़े पैमाने पर इसाई बन गये हैं.
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वर्ष 1901 में झारखंड में ईसाई समुदाय की आबादी लगभग 2 फीसदी थी, जो आज लगभग 40-50 फीसदी हो गयी है. शिक्षा, स्वास्थ्य, मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने धर्मपरिवर्तन को एक औजार बना लिया है. अंग्रेजों ने 1936 में नियम बनाया कि जिसे धर्मपरिवर्तन करना है, उसे जिलाधिकारी से इजाजत लेनी होगी, लेकिन आजादी के बाद कांग्रेस ने धर्मनिरपेक्षता के नाम पर इसे बढ़ावा दिया और झारखंड, छत्तीसगढ़, ओड़िशा और उत्तर-पूर्व के आदिवासी बड़े पैमाने पर ईसाई बन गये. उन्होंने सरकार से मांग की कि इसाई बनने वाले आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए.