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राजस्थान में बनेगा पहला गौ अभ्यारण्य

जयपुर : राजस्थान का पहला गाय अभ्यारण्य बीकानेर के पास नापासर कस्बे में बनेगा. इसके लिए काम शुरू कर दिया गया है. अभ्यारण्य के इसी साल अस्तित्व में आने की उम्मीद है. गौ-पालन राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने बताया कि प्रस्तावित गाय अभ्यारण्य को जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश रहेगी और सरकार चाहती है […]

जयपुर : राजस्थान का पहला गाय अभ्यारण्य बीकानेर के पास नापासर कस्बे में बनेगा. इसके लिए काम शुरू कर दिया गया है. अभ्यारण्य के इसी साल अस्तित्व में आने की उम्मीद है.

गौ-पालन राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने बताया कि प्रस्तावित गाय अभ्यारण्य को जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश रहेगी और सरकार चाहती है कि इस साल होने वाले चुनावों से पहले यह बनकर तैयार हो जाये.

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उन्होंने बताया कि विशेष रूप से गौवंश के लिए यह अभ्यारण्य सरकार निजी क्षेत्र के साथ मिलकर बना रही है. इसके लिए राज्य सरकार ने सोहनलालजी बुलादेवीजी ओझा गौशाला समिति के साथ समझौता किया है.

सरकार इस तरह की गौशालाओं के लिए अनुदान और जमीन लीज पर उपलब्ध कराती है. प्रबंधन का काम इस समिति के जिम्मे रहेगा.

सूत्रों के अनुसार, पूरी तरह गौवंश को समर्पित नापासर का गौ-अभ्यारण्य वन्यजीव अभ्यारण्य की तर्ज पर विकसित किया जायेगा. इसमें गायों की सार संभाल की सभी आधुनिक व्यवस्थाएं होंगी और एक चिकित्सालय भी होगा.

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देवासी ने बताया कि सरकार के पास जमीन की कमी नहीं है और गौवंश की संख्या के हिसाब से गौशाला को जमीन उलपब्ध करवायी जा सकती है. नागौर और राठी सहित गायों की कई उन्नत नस्लों के घर राजस्थान की अर्थव्यवस्था एवं किसानी जीवन में गौ-वंश का बड़ा योगदान है.

मौजूदा सरकार ने वर्ष 2013-14 के आम बजट में गौ-सेवा के लिए एक नया विभाग गठित किया, जिसका नाम बाद में गोपालन निदेशालय कर दिया गया. राज्य सरकार ने गौ सरंक्षा के लिए धन जुटाने के लिए मदिरा पर ‘गौ-अधिभार’ लगाने की घोषणा भी की थी.

हिंगौनिया गौशाला में अव्यवस्था के चलते गायों की कथित मौत पर विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस से घिरने के बाद सरकार ने गौशाला की सही तरीके से सार-संभाल करने के लिए अक्षयपात्र के साथ एक करार वर्ष 2016 में किया था.

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अक्षयपात्र के सिद्ध स्वरूप प्रभुजी ने बताया किएक अक्तूबर, 2016 को जब हिंगोनिया गौशाला को अक्षयपात्र ने संभाला, उस समय गौशाला में 8 हजार गायें थीं, जो अब बढ़कर 24 हजार हो गयी हैं. दूध का उत्पादन 100 लीटर प्रतिदिन से बढ़कर 3000 हजार लीटर प्रतिदिन हो गया है.

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