बदायूं बलात्कार कांडः केंन्द्र ने पूछा, आरोपियों पर एससी-एसटी कानून के तहत मुकदमा क्यों नहीं

नयी दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आज उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर यह स्पष्ट करने को कहा है कि बदायूं में दो चचेरी बहनों के साथ हुए बलात्कार और फिर हुई उनकी हत्या के आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति..अनुसूचित जनजाति (प्रताडना रोकथाम) कानून के कडे प्रावधानों के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 2, 2014 5:15 PM

नयी दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आज उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर यह स्पष्ट करने को कहा है कि बदायूं में दो चचेरी बहनों के साथ हुए बलात्कार और फिर हुई उनकी हत्या के आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति..अनुसूचित जनजाति (प्रताडना रोकथाम) कानून के कडे प्रावधानों के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया.

गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कानून बना हुआ है. यह अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों को प्रताडना से बचाने के लिए है. यह समाज के कमजोर वर्ग की प्रताडना का स्पष्ट मामला है. हमें नहीं पता कि राज्य सरकार ने आरोपियों के खिलाफ यह प्रावधान क्यों नहीं लगाया.’’ रिजिजू ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र आज भेजा गया है.गृह राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘यह एक गंभीर अपराध था और दोषियों को निश्चित तौर पर सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए.’’
देश भर में गुस्सा पैदा करने वाले इस मामले में पांच आरोपियों- पप्पू यादव, अवधेश यादव और उर्वेश यादव (तीनों भाई) के अलावा कांस्टेबलों- छत्रपाल यादव और सर्वेश यादव को गिरफ्तार किया गया है. बदायूं के उसैथ इलाके के एक गांव में दो चचेरी बहनों (जिनकी उम्र 14 और 15 साल थी) से कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया और बलात्कार के बाद उनकी हत्या करके शवों को आम के एक पेड पर लटका दिया गया. दोनों पीडिता 27 मई को लापता हो गई थीं और उनके शव अगले दिन बरामद हुए थे. बदायूं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनउ से 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

Next Article

Exit mobile version