””एक देश एक चुनाव”” : बोले चुनाव आयुक्त- बिना संशोधन के पूरे देश में संभव नहीं एक साथ चुनाव
नयी दिल्ली : देशभर में एक साथ चुनाव कराने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस मुद्दे पर विधि आयोग को पत्र लिखा है जिसके बाद मुद्दा और गरमा गया है. अब इस मसले पर मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओपी रावत का बयान भी सामने आया है. […]
नयी दिल्ली : देशभर में एक साथ चुनाव कराने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस मुद्दे पर विधि आयोग को पत्र लिखा है जिसके बाद मुद्दा और गरमा गया है. अब इस मसले पर मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओपी रावत का बयान भी सामने आया है.
मामले को लेकर रावत ने कहा है कि वर्तमान परिदृश्य में पूरे देश में एक साथ चुनाव फिलहाल संभव नहीं है. यदि चरणबद्ध तरीके से कराया जाए तो कई राज्यों के चुनाव आम चुनावों के साथ संभव हैं. उन्होंने कहा कि देश में पहले चार चुनाव एक साथ ही हुए थे. अगर कानून में संशोधन हो, मशीनें पर्याप्त हों और सुरक्षाकर्मी जरूरत के हिसाब से हों, तो ऐसा संभव है.
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#WATCH: Chief Election Commissioner, OP Rawat, says, "simultaneous polls aren't possible without amendments in law. But if polls are to be held in installments, like in 11 states at once, possibilities are there if all respective houses agree to dissolve & conduct polls together" pic.twitter.com/d5JU5oHCuO
— ANI (@ANI) August 14, 2018
इस संदर्भ में चुनाव आयुक्त ने कहा कि राज्य विधानसभाएं यदि सहमत हो जाएं तो एक साथ चुनाव कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी. ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि केंद्र सरकार अगले साल लोकसभा चुनावों के साथ 10-11 राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कराने की कोशिश कर रही है.
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आगे उन्होंने कहा कि यदि पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की बात तो बिना संशोधन के संभव नहीं नजर आ रहा है.
रावत ने बताया कि एक साथ चुनाव को लेकर चुनाव आयोग 2015 में ही व्यापक सुझाव देने का काम कर चुका है. चुनाव आयोग यह बता चुका है कि इसके लिए संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून में कौन-कौन से संशोधन कराने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि इन संशोधनों के बाद अन्य जरूरतो में पर्याप्त वोटिंग मशीन (वीवीपैट), अधिक सुरक्षाकर्मियों जैसी जरूरतों से भी अवगत करा दिया गया था.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि एक साथ चुनाव बिल्कुल कराये जा सकते हैं. देश के पहले 4 चुनाव 1967 तक एक साथ हुए हैं.