आरक्षण पर केंद्र ने कहा, क्रीमी लेयर के आधार पर पदोन्नति में लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता

नयी दिल्ली : केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि क्रीमी लेयर के सिद्धांत को लागू कर अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय (एससी/एसटी) से आने वाले सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि जाति और पिछड़ेपन का ठप्पा अब भी समुदाय के साथ जुड़ा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 16, 2018 1:17 PM

नयी दिल्ली : केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि क्रीमी लेयर के सिद्धांत को लागू कर अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय (एससी/एसटी) से आने वाले सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि जाति और पिछड़ेपन का ठप्पा अब भी समुदाय के साथ जुड़ा हुआ है .

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पांच न्यायाधीशों वाली और प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ को सूचित किया कि ऐसा कोई फैसला नहीं है जो यह कहता हो कि एससी/एसटी समुदाय के समृद्ध लोगों को क्रीमी लेयर सिद्धांत के आधार पर आरक्षण का लाभ देने से इनकार किया जा सकता है.

वेणुगोपाल से पूछा गया था कि क्या क्रीमी लेयर सिद्धांत को लागू करके उन लोगों को लाभ से वंचित किया जा सकता है जो इससे बाहर आ चुके हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एससी/एसटी समुदाय के पिछड़े लोगों तक आरक्षण का लाभ पहुंच सके. शीर्ष विधिक अधिकारी ने बताया कि हालांकि समुदाय के कुछ लोग इससे उबर चुके हैं लेकिन फिर भी जाति और पिछड़ेपन का ठप्पा अभी भी उन पर लगा हुआ है.
पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भी हैं.
पांच न्यायाधीशों की पीठ यह देख रही है कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में ‘क्रीमी लेयर’ से जुड़े उसके 12 वर्ष पुराने फैसले को सात सदस्यीय पीठ द्वारा फिर से देखने की जरूरत तो नहीं है.

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