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दिल्ली मेट्रो से जुड़ी हैं वाजपेयी की यादें, पढ़ें क्या है कहानी

नयी दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से दिल्ली मेट्रो की भी विशेष यादें जुड़ी हैं. दिसंबर 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने दिल्ली मेट्रो के पहले कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. कॉरिडोर का उद्घाटन होने के एक दिन बाद लोगों की इतनी भीड़ थी कि यात्रियों को संभालने के लिए कागज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 19, 2018 6:36 PM

नयी दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से दिल्ली मेट्रो की भी विशेष यादें जुड़ी हैं. दिसंबर 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने दिल्ली मेट्रो के पहले कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. कॉरिडोर का उद्घाटन होने के एक दिन बाद लोगों की इतनी भीड़ थी कि यात्रियों को संभालने के लिए कागज के टिकट जारी करने पड़े थे. बहुत से लोग यात्रा की जरूरत नहीं होने के बावजूद मेट्रो की सवारी की जिज्ञासा में स्टेशनों पर जुटे थे. लंबी बीमारी के बाद गत 16 अगस्त को वाजपेयी का निधन हो गया .

वाजपेयी ने 24 दिसंबर 2002 को रेड लाइन के तीस हजारी और शाहदरा स्टेशनों के बीच 8.2 किलोमीटर लंबी लाइन का उद्घाटन किया था. अगले दिन कॉरिडोर को यात्रियों के लिए खोल दिया गया था. यह संयोग ही था कि इस दिन वाजपेयी का 78वां जन्मदिन था. दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डी एम आर सी) के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘मेट्रो सेवा शुरू होने के पहले दिन (25 दिसंबर 2002) को टोकन और स्मार्ट कार्ड के साथ ही कागज के टिकट भी जारी करने पड़े थे. उस दिन लोगों की कतार रात एक बजे से ही लगनी शुरू हो गई थी, जिससे कि वे मेट्रो में सबसे पहले सवार होने वालों में शामिल हो सकें.” शहर में आधुनिक रैपिड ट्रांजिट प्रणाली के बाद बहुत से लोगों का विश्वास था कि मेट्रो यहां अस्थाई रूप से है और इसीलिए मेट्रो को लोगों को यह बताने के लिए अखबारों में विज्ञापन देना पड़ा कि ‘‘यह यहां रुकने के लिए” है.
डी एम आर सी के कार्यकारी निदेशक (कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस) अनुज दयाल ने पीटीआई से कहा, ‘‘पहले दिन की सेवा के बाद अखबारों में विज्ञापन दिए गए क्योंकि यात्रियों की जबर्दस्त भीड़ थी, और हम चाहते थे कि लोग क्रमबद्ध तरीके से आएं. हम उन्हें यह संदेश देना चाहते थे कि मेट्रो यहां स्थाई रूप से रहेगी.” पश्चिमी दिल्ली के तीस हजारी को पूर्वी दिल्ली के शाहदरा से जोड़ने वाले पूर्ण एलिवेटेड कॉरिडोर में नयी ‘ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन’ (ए एफ सी) प्रणाली भी लगी थी जिसमें स्वचालित गेट मशीन, टिकट बिक्री और टिकट जांच मशीन शामिल थीं. शाहदरा-तीस हजारी के बीच छह स्टेशन हैं. उन्होंने कहा कि नयी ए एफ सी प्रणाली में कोई दिक्कत होने की स्थिति में प्रबंध के तहत टोकन और स्मार्ट कार्ड के अतिरिक्त कागज के टिकट भी रखे गए थे.
अधिकारी ने कहा कि उद्घाटन के दिन वाजपेयी ‘‘कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन से एकदम नयी मेट्रो ट्रेन में सवार हुए थे.” उन्होंने कहा, ‘‘वाजपेयी ने स्टेशन के अंदर जाने के लिए एक काउंटर से स्मार्ट कार्ड भी खरीदा था. यह दिल्ली के लिए यादगार दिन था.” अधिकारी ने कहा कि वाजपेयी और अन्य अतिथि कश्मीरी गेट से सवार होने के बाद सीलमपुर मेट्रो स्टेशन पर उतर गए थे.
बाद में एक समारोह हुआ जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री ने मेट्रो सेवा को आधिकारिक रूप से हरी झंडी दिखाई. वाजपेयी ने उद्घाटन के बाद कहा था कि दिल्ली में यह लोगों का एक सपना था जिससे कि उनका जीवन सुगम बन सके. उसके बाद लगभग 16 वर्षों में दिल्ली मेट्रो रेल नेटवर्क का विस्तार अब 296 किलोमीटर तक का हो चुका है जिसमें अनेक कॉरिडोर और 214 स्टेशन हैं. हर रोज लगभग 27 लाख लोग दिल्ली मेट्रो से यात्रा करते हैं. तीन अक्तूबर 2003 को तीस हजारी-इंद्रलोक (तत्कालीन त्रिनगर) के बीच 4.5 किलोमीटर लंबी दूसरी पट्टी के उद्घाटन के बाद वाजपेयी ने कहा था कि शहर में तेज एवं सक्षम मेट्रो प्रणाली लाने में पहले ही विलंब हो चुका है, लेकिन अब इसे गति मिलनी चाहिए.
ब्रिटिश सरकार ने खुद को खालिस्तान मुद्दे से अलग किया लंदन, 19 अगस्त (भाषा) ब्रिटेन सरकार ने इस महीने के शुरू में लंदन के ट्रैफलगार चौक पर खालिस्तान के समर्थन में आयोजित रैली के मुद्दे से खुद को अलग कर लिया है. सिख्स फॉर जस्टिस नाम के अलगाववादी संगठन ने गत 12 अगस्त को तथाकथित ‘लंदन घोषणा जनमत संग्रह 2020′ रैली आयोजित की थी जिससे राजनयिक विवाद खड़ा हो गया था क्योंकि भारत ने ब्रिटेन से कहा था कि उसे ‘‘हिंसा, अलगाववाद और घृणा” फैलाने वाले समूहों को इस तरह के कार्यक्रम की अनुमति देने से पहले द्विपक्षीय संबंधों का ध्यान रखना चाहिए था.
ब्रिटेन सरकार के एक सूत्र ने कहा, ‘‘हालांकि हमने रैली होने की अनुमति दी, लेकिन इसे किसी के समर्थन या किसी के खिलाफ हमारे विचार के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.” ‘‘सिखों के आत्मनिर्णय के अभियान” पर सिख्स फॉर जस्टिस और ब्रिटेन के विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय (एफ सी ओ) के बीच पत्राचार की खबरों के बाद यह टिप्पणी आई. सिख्स फॉर जस्टिस और ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधियों के बीच किसी संक्षिप्त बैठक की संभावना को नकारते हुए एफ सी ओ ने कहा कि ‘‘वह सभी संबंधित पक्षों को मतभेदों का समाधान वार्ता के जरिए करने को प्रोत्साहित करता है.”
एफ सी ओ कार्यालय में भारत के लिए अनाम डेस्क अधिकारी की ओर से 17 अगस्त को लिखे गए पत्र में कहा गया कि ब्रिटेन सभा करने और अपने विचार व्यक्त करने के लिए लोगों के स्वतंत्र होने की अपनी दीर्घकालिक परंपरा पर गर्व करता है. पत्र में कहा गया, ‘‘ब्रिटेन सरकार 1984 की घटनाओं, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हुई घटनाओं के संबंध में सिख समुदाय की भावना की शक्ति को मानती है. हम सभी देशों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि उनके घरेलू कानून अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों को पूरा करें.” सिख्स फॉर जस्टिस ने एफ सी ओ के जवाब को ‘‘अत्यंत प्रोत्साहक” करार दिया.

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