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दाऊद का करीबी जबीर मोती लंदन में गिरफ्तार

लंदन/नयी दिल्ली : ब्रिटेन की सुरक्षा एजेंसी ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी जबीर सिद्दिक उर्फ जबीर मोती को लंदन के एक होटल से गिरफ्तार किया है. जबीर की गिरफ्तारी भारत के लिए बड़ी कामयाबी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जबीर मोती पाकिस्तानी नागरिक है और वह डी-कंपनी के आर्थिक मामलों का इंचार्ज है. […]

लंदन/नयी दिल्ली : ब्रिटेन की सुरक्षा एजेंसी ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी जबीर सिद्दिक उर्फ जबीर मोती को लंदन के एक होटल से गिरफ्तार किया है. जबीर की गिरफ्तारी भारत के लिए बड़ी कामयाबी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जबीर मोती पाकिस्तानी नागरिक है और वह डी-कंपनी के आर्थिक मामलों का इंचार्ज है. इन दिनों वह दाऊद के लिए ब्रिटेन, यूएई, अफ्रीका समेत कई देशों में डी-कंपनी के पैसों का लेनदेन देख रहा था. उसे दाऊद का दायां हाथ भी माना जाता है. दाऊद पर शिकंजा कसने के लिए भारत ने जबीर को पकड़ने की अपील की थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, दाऊद के काले चिट्ठे को जानने वाले मोती को लंदन के हिल्टन होटल से गिरफ्तार किया गया है. वह 10 साल के वीजा पर ब्रिटेन में रह रहा था. दाऊदी की पत्नी महजबीन, बेटी महरीन और दामाद जुनैद के बीच वित्तीय लेनदेन की जांच के बाद जबीर को गिरफ्तार किया गया है. जबीर पर ड्रग्स, हथियार तस्करी, फिरौती और अन्य मामलों में शामिल होने का आरोप है. जबीर पाक, मिडल ईस्ट, यूके, यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में दाऊद के काम को देखता है. इन देशों में व्यवसायों से होने वाली कमाई का इस्तेमाल भारत विरोधी अभियानों को अंजाम देने के लिए आतंकियों को फंडिंग करता था.

दाऊद के परिवार को यूके में शिफ्ट करवाना चाहता था जबीर
दाऊद के परिवार को यूके में शिफ्ट करवाने के विकल्प खोजने में जबीर की बड़ी भूमिका है. कराची में जिस रेसिडेंशियल कंपाउंड में दाऊद का परिवार रहता है, वहां जबीर के पास भी एक घर है. हाल ही में जबीर खुद भी बारबेडोस और ऐंटीगा में दोहरी नागरिकता पाने की कोशिश कर रहा था. उसने हंगरी में भी पर्मानेंट रेसिडेंट स्टेटस पाने की कोशिश की थी. बता दें कि 1993 के मुंबई बम धमाकों में दाऊद भारत में मोस्ट वॉन्टेड है. इसके अलावा दाऊद हत्या, उगाही, ड्रग तस्करी, आतंकवाद और अन्य कई मामलों में भी वांछित है.
फर्जी पहचान से भारतीय पासपोर्ट बनवाया था : सीबीआइ
सीबीआइ का कहना है कि 1993 के मुंबई बम धमाकों का साजिशकर्ता और दाऊद इब्राहिम का करीबी फारूक टकला 2011 में मुश्ताक मोहम्मद मियां नाम से भारतीय पासपोर्ट हासिल करने में कामयाब रहा था. सीबीआइ ने दावा किया है कि जब टकला को आठ मार्च, 2018 को दुबई से यहां लाया गया और उसे इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया, तब उसके पास से दुबई के भारतीय वाणिज्य दूतावास से जारी यह पासपोर्ट मिला. एजेंसी का आरोप है कि मोहम्मद फारूक यासीन मंसूर उर्फ फारूक टकला धमाकों के बाद दुबई भाग गया था और वह मुश्ताक मोहम्मद मियां की फर्जी पहचान के साथ रह रहा था. टकला के पास से जो पासपोर्ट मिला है, उसे आठ फरवरी, 2011 को दुबई के भारतीय वाणिज्य दूतावास ने जारी किया था.

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