नयी दिल्ली : आधुनिक भारतीय कला में अपनी विशिष्ट योगदान देने वाली 76 वर्षीय कलाकार माधवी पारेख के कार्यों का एक संग्रह मुंबई के काला घोड़ा स्थित डीएजी गैलरी में प्रदर्शित किया जायेगा. प्रदर्शनी में उनके पांच दशक लंबे कैरियर के दौरान बनायी गयीं कलाकृतियां शामिल हैं, जिनके जरिये बीते हुए समय पर प्रकाश डाला जायेगा. उनके करियर के हर दशक के प्रसिद्ध कार्यों को दर्शाने वाले इस कार्यक्रम का मकसद आधुनिक भारतीय कला के व्यापक परिदृश्य को समझने, उसकी प्रासंगिकता और इसमें उनके योगदान को बताना है.
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स्वप्रशिक्षित माधवी ने किशोरावस्था के दौरान कभी नहीं सोचा था कि वह एक कलाकार बन सकती हैं. उनके पति मनु पारेख ने एक दिन उनका परिचय अभिव्यंजनावाद शैली के जर्मनी के महान चित्रकार पॉल क्ली की चित्रकला से कराया. उस समय मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट के छात्र रहे उनके पति ने उन्हें वृत, वर्ग और त्रिकोण बनाने को कहा था, जिन्होंने बाद में चांद, पेड़, झोपड़ी का रूप ले लिया और बहुत जल्द कैनवास पर जीवन के विविध पहलू उभरने लगे.
माधवी की शादी महज 15 साल की उम्र में हो गयी थी. चित्रकला से परिचय होने के बाद उन्होंने कभी पीछे पलट कर नहीं देखा. पारेख ने बताया कि मेरी चित्रकलाएं मेरे जीवन पर आधारित हैं. गुजरात के सांजया गांव में जहां मैंने जन्म लिया था, वहां की मेरी यादें मेरे दिमाग में थीं और मैंने उन्हें कैनवास पर उतारा. माधवी के लिए उनकी कलाकृतियां उनके जीवन की नकल हैं. बाद में कई स्थानों की यात्रा के बाद उनके मन-मस्तिष्क पर तमाम दूसरे प्रभाव पड़े, जिन्हें वह कैनवास पर उतारती चली गयीं.