नयी दिल्ली : रिलायंस ग्रुप के चेयरमेन अनिल अंबानी ने फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को एक और पत्र लिख कर कहा है कि उनके प्रति दुर्भावना रखने वाले कुछ निहित स्वार्थी तत्वों और कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्वियों ने इस सौदे पर कांग्रेस पार्टी को गलत, भ्रामक और भटकाने वाली जानकारी दे रहे हैं. अंबानी ने इससे पहले दिसंबर में इस मुद्दे पर गांधी को पहली बार पत्र लिखा था.
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ग्रुप की ओर से सोमवार को जारी एक बयान के अनुसार, अंबानी ने अपने ताजा पत्र में कहा है कि भारत जो 36 राफेल जेट विमान फ्रांस से खरीद रहा है, उन विमानों के एक रुपये मूल्य के एक भी कलपुर्जे का विनिर्माण उनके ग्रुप द्वारा नहीं किया जायेगा. हालांकि, राहुल गांधी इस मुद्दे पर लगातार सरकार को घेर रहे हैं. गांधी का कहना है कि मौजूदा सरकार राफेल विमानों के लिए यूपीए सरकार में तय कीमत से कहीं अधिक मूल्य चुका रही हैं.
उन्होंने कहा है कि सरकार ने इस सौदे में बदलाव सिर्फ एक उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के लिए किया है. कंपनी ने अंबानी के पत्र के हवाले से कहा है कि रिलायंस को इस सौदे से जो हजारों करोड़ रुपये का फायदा होने की बात की जा रही है, वह कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा प्रचारित कोरी कल्पना मात्र है. उन्होंने लिखा है कि सीधे शब्दों में कहें, तो भारत सरकार के साथ कोई अनुबंध है ही नहीं.
पत्र में कहा गया है कि लड़ाकू जेट की आपूर्ति करने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट ने रिलायंस ग्रुप से करार अनुबंध के तहत अपनी ऑफसेट अनिवार्यता को पूरा करने के लिए किया है. रक्षा ऑफसेट के तहत विदेशी आपूर्तिकर्ता को उत्पाद के एक निश्चित प्रतिशत का विनिर्माण खरीद करने वाले देश में करना होता है. कई बार यह कार्य प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के जरिये किया जाता है.
बयान के अनुसार, अनिल अंबानी ने राहुल गांधी की ओर से अपने ऊपर लगातार किये जा रहे आक्षेपों पर ‘गहरी खिन्नता’ प्रकट की है और इन आक्षेपों को निराधार बताया है. उन्होंने डसॉल्ट कंपनी के साथ ऑफसेट निर्यात/ वर्क शेयर में रिलायंस की भूमिका पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि दुर्भावाना रखने वाले निहित स्वार्थी लोगों और कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्वियों की ओर से कांग्रेस को इस बारे में गलत, भ्रामक और भटकाने वाली जानकारी दी गयी है.
उन्होंने कहा है कि रिलायंस डसॉल्ट संयुक्त उपक्रम कोई राफेल जेट विमानों का विनिर्माण नहीं करने जा रहा है. सभी 36 के 36 विमान शत-प्रतिशत फ्रांस में ही तैयार किये जायेंगे और उन्हें वहीं से भारत को निर्यात किया जायेगा. उन्होंने यह भी कहा है कि भारत के रक्षा मंत्रालय से रिलायंस ग्रुप को इन विमानों के संबंध में कोई भी ठेका नहीं मिला है.
अंबानी ने कहा है कि उनकी कंपनी की भूमिका केवल ऑफसेट/निर्यात दायित्व तक सीमित है. इसमें भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन जैसे सरकरी संगठनों से लेकर 100 से अधिक की संख्या में छोटी मझोली कंपनियां शामिल होंगी. इससे भारत की विनिर्माण क्षमता का विस्तार होगा.
उन्होंने याद दिलाया है कि ऑफसेट नीति कांग्रेस के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार ने ही 2005 में लागू की थी. अंबानी ने स्पष्ट किया है कि उनके समूह ने राफेल विमानों की खरीददारी की इच्छा जताये जाने से महीनों पहले रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में कदम रखने की घोषणा दिसंबर, 2014 से जनवरी, 2015 के बीच ही कर दी थी.