संख्या 3 अशुभ रही मुंडे-महाजन परिवार के लिए
नयी दिल्ली: इसे दुखद संयोग कहें या कुछ और, लेकिन मुंडे -महाजन परिवार के लिए महीने का तीसरा दिन अशुभ जान पडता है.आज यहां कार हादसे में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे के असामयिक निधन से यह बात सामने आयी है कि परिवार के तीन सदस्य और दोनों भाजपा नेताओं के एक करीबी महीने […]
नयी दिल्ली: इसे दुखद संयोग कहें या कुछ और, लेकिन मुंडे -महाजन परिवार के लिए महीने का तीसरा दिन अशुभ जान पडता है.आज यहां कार हादसे में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे के असामयिक निधन से यह बात सामने आयी है कि परिवार के तीन सदस्य और दोनों भाजपा नेताओं के एक करीबी महीने के तीसरे दिन ही काल के गाल में समा गए.
यह दुखद सिलसिला मुंडे के साले प्रमोद महाजन के निधन के साथ शुरु हुआ था. वर्ष 2006 में 3 मई को ही मुम्बई के एक अस्पताल में प्रमोद महाजन ने दम तोडा था. गोली लगने के बाद घायल प्रमोद महाजन को बचाने की डाक्टरों की लंबी कोशिश असफल रही थी.
प्रमोद महाजन को उनके भाई प्रवीण ने ही किसी बात पर विवाद के कारण 22 अप्रैल, 2006 को गोली मारी थी. वह 13 दिनों तक जीवन और मौत के बीच झूलते रहे. प्रवीण ने चार गोलियां चलाई थीं, पहली गोली चूक गयी थी, तीन अन्य गोलियां उनके यकृत एवं अग्नाशय में लगी थीं. प्रवीण को मुम्बई की निचली अदालत ने वर्ष 2007 में उम्रकैद की सजा सुनायी थी.
इस घटना के एक महीने बाद 3 जून, 2006 को एक पार्टी के बाद प्रमोद के सहायक विवेक मोइत्र दिल्ली में अपने सरकारी बंगले में मृत मिले और उनके बेटे राहुल बेहोश पाए गए थे. उस पार्टी में कथित रुप से शराब और मादक पदार्थ का सेवन किया गया था. महीने का तीसरा दिन एक बार फिर मनहूस साबित हुआ जब 3 मार्च, 2010 को प्रवीण महाजन ठाणे के एक अस्पताल में चल बसे. मस्तिष्काघात के बाद अस्पताल में कई सप्ताह तक उनका इलाज चला था.
मुंडे भी आज महीने के तीसरे दिन अस्पताल में इलाज के दौरान चल बसे. सडक हादसे के बाद उन्हें अस्पताल लाया गया था.
मुंडे-महाजन परिवार को लगी बुरी नजर!
-इंटरनेट डेस्क-
ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन के परिवार को किसी की बुरी नजर लग गयी है, तभी तो एक-एक करके उस परिवार के पुरुष सदस्य असमय काल के ग्रास बनते जा रहे हैं. आज सुबह प्रमोद महाजन के बहनोई गोपीनाथ मुंडे की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी. इस खबर से पूरा परिवार सदमे में है.गोपीनाथ मुंडे केंद्रीय कैबिनेट में ग्रामीण विकास मंत्री थे.
यह दुर्घटना देश और भाजपा के लिए तो बहुत बड़ी क्षति है ही, क्योंकि उनके एक कद्दावर नेता का निधन हो गया है. लेकिन इस निधन का एक दूसरा पक्ष भी है, जो काफी दर्दनाक है. अगर उस पक्ष पर हम नजर डालें, तो हम पायेंगे कि मुंडे की मौत से उस परिवार को काफी नुकसान हुआ है, जिसने अपना अभिभावक खो दिया.
हम बात कर रहे हैं प्रमोद महाजन के परिवार की. हम सब इस बात से वाकिफ हैं कि गोपीनाथ मुंडे प्रमोद महाजन की इकलौती बहन प्रज्ञा महाजन के पति थे और इस हादसे से पूरा महाजन परिवार सदमे में है. मुंडे के निधन के बाद महाजन परिवार के तीन पुरुष सदस्य प्रमोद महाजन, प्रवीण महाजन और गोपीनाथ मुंडे असमय काल के शिकार बन गये हैं. गोपीनाथ मुंडे की आज एक सड़क दुर्घटना में मौत हुई है, वहीं वर्ष 2006 में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन की उनके अपने भाई प्रवीण महाजन ने घर में हत्या कर दी थी.
इस हत्या के दोषी प्रवीण महाजन को वर्ष 2007 में उम्रकैद की सजा मिली थी. इस अचंभित करने वाले हादसे से परिवार उबर भी नहीं पाया था कि प्रमोद महाजन के हत्यारे भाई प्रवीण महाजन की भी मौत हो गयी. उनका ब्रेन हैमरेज हो गया था, जिसके बाद वे वर्ष 2009 में कोमा में चले गये थे, वर्ष 2010 में उनका निधन हो गया. 22 अप्रैल, 2006 को बेहद नाटकीय परिस्थितियों में प्रवीण महाजन ने मुंबई के वर्ली में अपने बड़े भाई प्रमोद महाजन पर पिस्तौल से गोलियां चला दीं. इसके बाद प्रमोद महाजन की तीन मई को मुंबई के अस्पताल में मौत हो गयी थी.
घटना के फ़ौरन बाद प्रवीण महाजन ने पुलिस के सामने इस बात को क़बूल कर लिया कि उन्होंने अपराध किया है लेकिन अदालत में सुनवाई के दौरान वह अपने कबूलनामे से मुकर गये. उनके वकील ने अदालत के अंदर यह साबित करने की भी कोशिश की कि दोनों भाइयों में हाथापाई के दौरान ग़लती से गोली चल गई.
वेंकटेश देवीदास महाजन और प्रभावती वेंकटेश महाजन के सबसे बड़े पुत्र के रूप में 30 अक्तूबर, 1949 को महबूबनगर (आंध्र प्रदेश) में जन्मे प्रमोद महाजन का जीवन संघर्ष और सफलताओं की गाथा रहा. किसने कल्पना की थी कि राजनीति में विभिन्न विचारधाराओं के बीच सहज स्वीकार्य होने वाले ऐसे व्यक्तित्व का इस तरह त्रासद अंत होगा. तीन भाइयों और एक बहन में सबसे बड़े भाई प्रमोद जब 21 वर्ष के थे तब उनके पिताजी का स्वर्गवास हुआ. ऐसे में उन्होंने कालेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर परिवार को संभाला.
प्रमोद महाजन के निधन के बाद वह शख्स गोपीनाथ मुंडे ही थे, जिसने पूरे परिवार को संभाला और उन्हें बांधकर रखा. गोपीनाथ मुंडे खुद एक कद्दावर और ताकतवर नेता थे. प्रमोद महाजन की हत्या के बाद महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के पास गोपीनाथ मुंडे छोड़ दूसरा कोई बड़ा नेता नहीं बचा था. ऐसे में गोपीनाथ मुंडे को खुला मैदान मिला, लेकिन उनकी ढाल टूट चुकी थी. मुंडे पिछड़ी जाति से हैं और ओबीसी में उनका काफी वजन हैं.
मुंडे राष्ट्रीय राजनीति में अपना रास्ता खोजने निकल पड़े. मुंडे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने लेकिन उनकी जड़ें महाराष्ट्र में ही रहीं. गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र राज्य में भारतीय जनता पार्टी का चेहरा थे. मुंडे को महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की ओर से एकमात्र भीड़ जुटाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता था. महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने वालों में उनका नाम लिया जाता है. गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र के कद्दावर ओबीसी नेता हैं. गोपीनाथ मुंडे पिछड़े वर्गों में अच्छा प्रभाव रखने वाले महत्पूर्ण ओबीसी नेता थे. महाराष्ट्र प्रदेश में उन्हें भारतीय जनता पार्टी का अकेला जननेता माना जाता था.
गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे का जन्म बीड, महाराष्ट्र में एक कृषक परिवार पांडुरंग मुंडे के घर हुआ था. उनकी मां का नाम लिंबाबाई मुंडे था. गोपीनाथ मुंडे केअलावा पांडुरंग मुंडे को दो और पुत्र थे. गोपीनाथ मुंडे की प्राथमिक शिक्षा नार्था, बीड में ही संपन्न हुई थी. इसके बाद उन्होंने आंबेजोगाई के योगेश्वरी शिक्षण संस्था स्वामी रामानंद तीर्थ महाविद्यालय में अध्ययन किया. इन्होंने वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इनका विवाह 21 मई 1978 में प्रज्ञा महाजन के साथ हुई थी. इनके परिवार में तीन पुत्रियां पंकजा पालवे, डॉक्टर प्रीतम मते और यशश्री मुंडे हैं.
स्नातक की शिक्षा समाप्त करने के पश्चात वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये और देशसेवा का व्रत लेते हुये यहीं से अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की. मुंडेजी संघवादी थे जो सारा जीवन सादगी से रहे और गरीबों की सेवा में अपनी पूरी जिंदगी को सर्मिपत किया. उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था.