एनडीएमए की रिपोर्ट: आने वाले दस साल में होगी और बर्बादी, बाढ़ से हो सकती हैं 16000 मौतें 47000 करोड़ का नुकसान

नयी दिल्ली : केरल में आयी तबाही ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. एक ओर जहां भारी बारिश से 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 21 हजार करोड़ से अधिक के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है. हर साल मानसून के दौरान देश परेशानी से जूझता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2018 7:43 AM
नयी दिल्ली : केरल में आयी तबाही ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. एक ओर जहां भारी बारिश से 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 21 हजार करोड़ से अधिक के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है. हर साल मानसून के दौरान देश परेशानी से जूझता है.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने आने वाले 10 वर्षों में बारिश और बाढ़ से होने वाले विनाश का एक अनुमान पेश किया है. इसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं.
एनडीएमए का अनुमान है कि आने वाले 10 साल और कठिन होने वाले हैं. इसकी वजह से जहां देश में 16,000 लोगों की मौत होने की आशंका है, जबकि 47,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति बर्बाद होगी.
आपदा से जूझने में हमारा स्तर काफी नीचे गृह मंत्रालय ने हाल ही में देश के 640 जिलों में आपदा के खतरों के बारे में एक सर्वेक्षण किया है. डीआरआर के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन के आधार पर एक नेशनल रिजल्यिन्स इंडेक्स (एनआरआइ) तैयार किया गया है.
इसमें जोखिम का आंकलन, जोखिम से रोकथाम और आपदा के दौरान राहत जैसे मापदंड शामिल हैं. इस शोध में खुलकर आया कि हम अभी शुरुआती दौर में हैं और आपदा से जूझने में हमारा स्तर बहुत नीचे है. सर्वे में यह बात भी सामने आयी कि हमें अभी बहुत अधिक सुधार की जरूरत है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर राज्यों ने अब तक खतरों का विस्तृत राज्यवार आंकलन, आपदा के बदलते जटिल स्वरूप और उससे बचाव के बारे में कोई काम नहीं किया है. राज्यों द्वारा किया गया आंकलन बहुत मामूली स्तर पर है और इसमें जिला या गांव के स्तर पर गहरे अध्ययन का अभाव है. एनडीएमए की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश को छोड़कर किसी भी राज्य ने विस्तृत रूप से आपदा के खतरों का आंकलन नहीं किया है.
साथ ही इस काम में किसी प्रफेशनल एजेंसी से मदद नहीं ली गयी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, गुजरात ने करीब एक दशक पहले आपदा के खतरों को देखते हुए विस्तार से आंकलन किया था, लेकिन बाद में इसमें कोई अपडेट नहीं हुआ, न ही इसे आम जनता के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराया गया है न ही आम नागरिक को इससे निपटने के लिए उपाय सुझाये गये हैं.

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