चंडीगढ़ : पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा से गले मिलने पर घिरे क्रिकेटर और पंजाब सरकार में मंत्री सह कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना बचाव किया है. सिद्धू ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पाकिस्तान का मेरा दौरा राजनीतिक नहीं, एक दोस्त (इमरान) की ओर से महज गर्मजोशी भरा आमंत्रण था.
सिद्धू ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि यह दोहरा मापदंड क्यों है? तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दोस्ती का संदेश लेकर वहां गये. उसके बाद करगिल युद्ध हुआ. क्या आप उन पर दोषारोपण करेंगे? इसके बाद, मोदी साहब बिना किसी आधिकारिक औपचारिकता के ही पाकिस्तान गये और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से गले मिले. क्या आप उन्हें राष्ट्रभक्त नहीं कहेंगे? इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त ने इमरान को क्रिकेट का बल्ला क्यों भेंट किया?
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सिद्धू ने कहा कि भारत-पाक अगर बातचीत के जरिये अपने मतभेद दूर कर लें, तो दक्षिण एशिया के लिए यह एक संदेश होगा. वह (इमरान) एक दोस्त हैं, जो दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्ते कायम करने के लिए काम कर सकते हैं. इधर, कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि सिद्धू का पाकिस्तान जाना मुद्दा नहीं है, बल्कि मोदी सरकार की पाक नीति असल मुद्दा है.
कहा कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी कहते हैं कि भारत ने वार्ता बहाल करने की इच्छा जाहिर की है, जबकि भारत में सूत्रों का कहना है कि ऐसी कोई पेशकश नहीं की गयी. बेहतर होगा कि पीएम के पत्र को सार्वजनिक किया जाये, ताकि पूरी चीज स्पष्ट हो सके.
करतारपुर साहिब के लिए रास्ता खोलना चाहते हैं जनरल बाजवा, ताकि श्रद्धालु कर सकें दर्शन
सिद्धू ने कहा कि जनरल बाजवा के साथ मेरी बैठक उनके शपथ समारोह स्थल पर पहुंचने के बाद हुई. मुझे पहली पंक्ति में बैठा देख वह गर्मजोशी से मिले और तुरंत ही उन्होंने मुझे बताया कि वे करतारपुर साहिब (जो करीब 3 से 3.5 किमी पाकिस्तान में है) के लिए रास्ता खोलने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि गुरु नानक देव जी के 550वें ‘प्रकाश दिवस’ पर श्रद्धालु उसके दर्शन कर सकें. जनरल बाजवा के यह कहने के बाद वह एक भावुक क्षण बन गया, जिसका नतीजा (एक-दूसरे को गले लगाना) सभी ने देखा. उस छोटी मुलाकात के बाद जनरल बाजवा के साथ मेरी कोई मुलाकात नहीं हुई. बहरहाल, सिद्धू ने अचानक हुई बैठक के भावुक क्षण में बदलने की निंदा होने पर दुख भी व्यक्त किया.