औरंगाबाद : सभी अटकलों को विराम लगाते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओपी रावत ने कानूनी ढांचा स्थापित किये बिना लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की संभावना से गुरुवारको साफ इनकार किया.
रावत ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘कोई संभावन नहीं.’ उनसे सवाल किया गया था कि क्या लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना व्यावहारिक है. लोकसभा चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में होने हैं, वहीं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में इसी साल बाद में विधानसभा चुनाव होने हैं.
पिछले दिनों भाजपा की तरफ से एक देश एक चुनाव का जिक्र किया गया था. इसके बाद अटकलें लगायी जा रही थीं कि क्या लोकसभा चुनावों को पहले कराकर इन राज्यों के चुनाव भी साथ कराये जायेंगे. हालांकि, भाजपा ने कहा है कि एक देश एक चुनाव का उसका प्रस्ताव लंबी अवधि का लक्ष्य है और पार्टी इसे तुरंत लागू करने के लिए दबाव नहीं डाल रही.
इससे पहले, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी कहा था कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से खर्च और प्रबंधन के संदर्भ में कठिनाइयों को कम करने में मदद मिलेगी. उन्होंने चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने के लिए पहल करने को कहा था. प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि अगर राजनीतिक दल संविधान में संशोधन काने के लिए सहमति बनाते हैं और अगर पहल चुनाव आयोग की ओर से किया जाता है, तो यह संभव हो सकता है, क्योंकि आयोग ने निष्पक्ष व्यवहार की छवि हासिल की है. मैं समझता हूं कि अगर राजनीतिक दल इस मुद्दे पर चुनाव आयोग की मदद से गंभीरतापूर्वक सहमत होते हैं, तब ऐसा संभव है.