भारत-चीन रक्षा क्षेत्र में एक साथ काम करने को तैयार, दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच बनी सहमति
नयी दिल्ली : भारत और चीन ने रक्षा सहयोग में नये द्विपक्षीय समझौते पर काम करने का गुरुवारको निर्णय किया और अपनी सेनाओं के बीच विभिन्न स्तर पर संवाद बढ़ाने पर सहमत हुए ताकि डोकलाम की तरह के गतिरोध से बचा जा सके. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके चीनी […]
नयी दिल्ली : भारत और चीन ने रक्षा सहयोग में नये द्विपक्षीय समझौते पर काम करने का गुरुवारको निर्णय किया और अपनी सेनाओं के बीच विभिन्न स्तर पर संवाद बढ़ाने पर सहमत हुए ताकि डोकलाम की तरह के गतिरोध से बचा जा सके.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके चीनी समकक्ष वेइ फंगह ने विश्वास बहाली के उपायों के तहत दोनों देशों के बीच प्रस्तावित हॉटलाइन को जल्द से जल्द शुरू करने पर भी निर्णय किया. दो घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में दोनों पक्षों ने अप्रैल में वुहान शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच लिये गये निर्णयों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया. इसमें दोनों सेनाओं के बीच सामरिक संवाद बढ़ाना भी शामिल है. रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा गया, ‘प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास और अन्य पेशेवर जुड़ाव को लेकर सशस्त्र सेनाओं के बीच संवाद बढ़ाने का निर्णय किया गया.
दोनों पक्षों ने रक्षा आदान-प्रदान को लेकर नये द्विपक्षीय एमओयू पर भी काम करने और 2006 में दस्तखत किये गये एमओयू को बदलने के लिए सहयोग करने का निर्णय किया. इसने कहा कि सीतारमण और वेइ ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर ‘स्वतंत्र, बेझिझक और सकारात्मक तरीके से’ चर्चा की. मंत्रालय ने कहा, ‘विश्वास बहाली के उपायों को पूरी तरह लागू करने के लिए काम करने पर सहमति बनी. साथ ही शांति और धैर्य बनाए रखने के लिए कार्यकारी स्तर पर ज्यादा संवाद स्थापित कायम करने पर भी सहमति बनी.’ वेइ चार दिनों की भारत यात्रा पर मंगलवार को यहां पहुंचे. उनकी यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच विश्वास बहाली के उपाय तलाशना है.
दोनों देशों की सेनाओं के बीच पिछले वर्ष डोकलाम में 73 दिनों तक गतिरोध बना रहा. बैठक में दोनों पक्ष दोनों देशों की सेनाओं के बीच प्रस्तावित हॉटलाइन को जल्द से जल्द शुरू करने पर सहमत हुए. बहरहाल यह पता नहीं चला कि क्या दोनों पक्ष मुद्दों का समाधान कर पायेगे जिसे शुरू किये जाने में विलंब हो रहा है.