भोपाल : भाजपानीत मध्यप्रदेश सरकार की ‘चरण पादुका योजना’ अब राजनीतिक विवादों में घिर गयी है. उसके तहत तेंदूपत्ता बीनने वाले आदिवासियों को मुफ्त में जूते-चप्पल दिये गये. कांग्रेस ने शिवराज सिंह चौहान सरकार पर आरोप लगाया है कि इस योजना के तहत 10 लाख आदिवासियों को बांटे गये जूतों के इनर सोल में स्किन कैंसर पैदा करने वाला हानिकारक रसायन ‘एजो डाइ’ मिला हुआ है.
हालांकि, राज्य सरकार ने कांग्रेस के इन आरोपों को झूठा एवं बेबुनियाद ठहराते हुये कहा कि जिस लॉट के जूतों के सैंम्पल परीक्षण में इनर-सोल में ‘एजो डाइ’ की मात्रा अधिक पायी गई थी, उस लॉट के 2 लाख जूतों को रिजेक्ट किया जा चुका है. गुणवत्ता परीक्षण के बाद ही पुरुष तेन्दूपत्ता संग्राहकों को अब तक 8.14 लाख जूतों का वितरण हुआ है और उनमें किसी तरह का खतरनाक रसायन नहीं था.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ‘चरण पादुका योजना’ की शुरुआत छत्तीसगढ़ के बीजापुर में इस साल 14 अप्रैल को एक आदिवासी महिला को अपने हाथों से मंच पर चप्पल पहनाकर की थी. इस योजना के तहत देश में तेंदूपत्ता बीनने वालों को चप्पलें एवं जूते दिये जाने हैं, जिससे वह जंगलों में आसानी से चल सकें.
इसी के तहत मध्यप्रदेश में 19 अप्रैल से चरण-पादुकाएं दी जा रही हैं. मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने जूतों के इनर सोल में केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान, चेन्नई की जांच में गंभीर बीमारी कैंसर की संभावना वाले ख़तरनाक रसायन ‘एजो डाइ’ के मिलने की पुष्टि पर मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है. उन्होंने एक विज्ञप्ति में मांग की, शिवराज सरकार आदिवासियों को कैंसर के ख़तरे से बचाने के लिय शीघ्र ही अब तक बांटे गये सारे जूते-चप्पलों को वापस बुलवाएं और सारे मामले की उच्चस्तरीय जाँच करायें.
कमलनाथ ने कहा कि इस मामले में किसी बड़े भ्रष्टाचार एवं फ़र्ज़ीवाडे की बू आ रही है। इसी बीच, मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग की एक विज्ञप्ति में वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने बताया, राज्य शासन ने तेन्दूपत्ता संग्राहकों की सुविधा के लिये 18 लाख से अधिक जूते-चप्पल का वितरण किया है. ये जूते-चप्पल अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के बाद ही वितरित किये गये हैं. इनमें स्किन कैंसर पैदा करने वाला हानिकारक रसायन नहीं था.
शेजवार ने कहा, परीक्षण के लिये जो सैम्पल भेजे गये थे उसमें 2 लाख जूतों का लॉट इनर-सोल में ‘एजो डाइ’ की मात्रा अधिक पाये जाने पर रिजेक्ट किया जा चुका है. कम्पनी को अभी-तक किसी तरह का भुगतान नहीं किया गया है. कम्पनी को इनर-सोल बदलने के आदेश दिये जा चुके हैं.
उन्होंने बताया कि जूते-चप्पलों का क्रय मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम के माध्यम से ही किया गया है. इनके वितरण के पहले गुणवत्ता का परीक्षण अनिवार्य रूप से दो प्रतिष्ठित संस्थाओं फुटवेयर डिजाईन एण्ड डेवलपमेन्ट इंस्टीट्यूट नोएडा और केन्द्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान चेन्नई से कराया जाता है.