जरूरतमंद बच्चों के लिए रेलवे स्टेशनों पर होंगे आश्रय गृह, एनजीओ के हाथ में होगा संचालन

नयी दिल्ली : रेलवे ने अपने परिसर में पाये जाने वाले और तत्काल देखभाल एवं संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों के लिए एक अनोखी पहल की है. इसके तहत वह कुछ स्टेशनों पर आश्रय गृह बनायेगा, जहां इन बच्चों के कुछ समय तक ठहरने की व्यवस्था होगी. रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 27, 2018 4:52 PM

नयी दिल्ली : रेलवे ने अपने परिसर में पाये जाने वाले और तत्काल देखभाल एवं संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों के लिए एक अनोखी पहल की है. इसके तहत वह कुछ स्टेशनों पर आश्रय गृह बनायेगा, जहां इन बच्चों के कुछ समय तक ठहरने की व्यवस्था होगी. रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक प्रायोगिक परियोजना के तौर पर ऐसे आश्रय गृह एवं हेल्प डेस्क दिल्ली, गुवाहाटी, दानापुर, समस्तीपुर और अहमदाबाद रेलवे स्टेशनों पर या उनसे सटे स्थानों पर स्थापित किये जायेंगे.

बोर्ड ने बताया कि 2,000 वर्ग फुट में बने इन आश्रय गृहों में करीब 25 बच्चे रह सकेंगे और इनमें पोषण, मनो-सामाजिक तथा चिकित्सा संबंधी सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेंगी. इनका इस्तेमाल किशोर न्याय अधिनियम और पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के मुताबिक ‘बच्चों को उनके परिवार से मिलाने के तरीके के तौर’ पर किया जायेगा.

बोर्ड ने बताया कि रेलवे महिला कल्याण संगठन इस परियोजना का प्रभारी होगा और वह बच्चों पर केंद्रित गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करेगा. इन केंद्रों का नाम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सुझायेगा. बोर्ड ने बताया कि संबंधित रेलवे मंडलों को इन पांच रेलवे स्टेशनों पर जरूरी जगह आवंटित करने को कहा गया है. इन आश्रय गृहों में 1,000 वर्ग फुट का एक शयनकक्ष, 75 वर्ग फुट का एक मरीज कक्ष, 125 वर्ग फुट का स्टोर रूम, दो शौचालय और दो बाथरूम होंगे.

आश्रय गृह का प्रभार संभालने वाले व्यक्ति को 500 वर्ग फुट का कार्यालय दिया जायेगा. रेलवे इन गृहों की सुरक्षा के लिए भी एक व्यक्ति तैनात करेगा. रेलवे ने कुछ दिन पहले बाल संरक्षण पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सहयोग से अपने कर्मचारियों के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया जारी की थी जिसके बाद उसका यह फैसला आया है. आंकड़ों के मुताबिक अपना घर छोड़ने वाले या मानव तस्करी के शिकार करीब 35,000 बच्चों को पिछले चार साल में रेलवे स्टेशनों से मुक्त कराया गया.

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