नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सऐप द्वारा शिकायत निदान अधिकारी नियुक्त नहीं करने के सिलसिले में दायर याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार और व्हाट्सऐप से जवाब तलब किया. न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज’ की याचिका पर केंद्र और व्हाट्सऐप को नोटिस जारी किये. केंद्र और व्हाट्सऐप को चार सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है.
इस संगठन का आरोप है कि यह सोशल मीडिया प्लेटफार्म शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करने के प्रावधान और भारत के दूसरे कानूनों का पालन नहीं कर रहा है. इस संगठन की याचिका में अनुरोध किया गया है कि सोशल मीडिया समूह को भारतीय रिजर्व बैंक के प्रावधानों पर पूरी तरह से अमल के बगैर अपनी भुगतान प्रणाली पर आगे बढ़ने से रोका जाए. बताते हैं कि भारत में बीस करोड़ से भी ज्यादा व्हाट्सऐप के उपभोक्ता हैं और करीब दस लाख लोग अपनी भुगतान सेवा का ‘परीक्षण’ कर रहे हैं.
फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी भारत में सबसे बड़े आधार वालों में से एक है. व्हाट्सऐप के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया है कि एक बैंक खाता खोलने के लिए ग्राहक को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित ‘अपने ग्राहक को जानिए’ (केवाईसी) मानकों और दूसरी औपचारिकताओं का पालन करना होता है. याचिका के अनुसार व्हाट्सऐप एक विदेशी कंपनी है जिसका भारत में कोई कार्यालय या सर्वर नहीं है. इसके बावजूद उसे बगैर किसी नियंत्रण के अपनी भुगतान और दूसरी सेवाओं को जारी रखने की अनुमति दी जा रही है.
याचिका में कहा गया है कि व्हाट्सऐप ने भारत के कर तथा दूसरे कानूनों का पालन नहीं किया है परंतु इसकी पहुंच ऐसी है कि इसका उपायोग आम आदमी से लेकर शीर्ष अदालत के न्यायाधीश तक करते हैं. वकील विराग गुप्ता के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि व्हाट्सऐप के पास इसका इस्तेमाल करने वाले प्रत्येक उपयोगकर्ता का नंबर है परंतु इसका ऐसा कोई नंबर नहीं है जिसके माध्यम से उपभोगकर्ता अपनी किसी शिकायत के समाधान के लिए संपर्क कर सके.