कानून मंत्री ने CJI से अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने को कहा

नयी दिल्ली : समझा जाता है कि केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा से कहा है कि वह अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करें. कानून मंत्री द्वारा सीजेआई को यह पत्र भेजे जाने के साथ ही शीर्ष अदालत में नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हो गयी. न्यायमूर्ति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2018 7:35 PM

नयी दिल्ली : समझा जाता है कि केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा से कहा है कि वह अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करें. कानून मंत्री द्वारा सीजेआई को यह पत्र भेजे जाने के साथ ही शीर्ष अदालत में नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हो गयी.

न्यायमूर्ति मिश्रा दो अक्तूबर को सेवानिवृत होनेवाले हैं. कानून मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि हाल में सीजेआई को पत्र भेजा गया. उच्च न्यायपालिका के सदस्यों की नियुक्ति को निर्देशित करनेवाले प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) के मुताबिक, ‘भारत के प्रधान न्यायाधीश के पद पर इस पद के लिए उपयुक्त समझे जानेवाले उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश की नियुक्ति की जानी चाहिए.’ एमओपी में कहा गया है कि किसी उचित समय पर कानून मंत्री निवर्तमान सीजेआई से अगले सीजेआई की नियुक्ति के बाबत सिफारिश करने की मांग करेंगे. इस प्रक्रिया के तहत, सीजेआई की सिफारिश प्राप्त होने के बाद कानून मंत्री इसे प्रधानमंत्री के समक्ष पेश करते हैं, जो नियुक्ति के मामले में राष्ट्रपति को सलाह देते हैं.

एमओपी के मुताबिक, ‘सीजेआई का पद संभालने के लिए वरिष्ठतम न्यायाधीश की उपयुक्तता पद कोई संदेह होने की स्थिति में अगले सीजेआई की नियुक्ति के लिए अन्य न्यायाधीशों के साथ विचार-विमर्श किया जायेगा.’ सीजेआई मिश्रा के बाद न्यायमूर्ति रंजन गोगोई उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं. इस साल जनवरी में चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद न्यायमूर्ति गोगोई की अगले सीजेआई पद पर नियुक्ति को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गयी थीं. चारों न्यायाधीशों ने विभिन्न मुद्दों, खासकर चुनिंदा पीठों को अहम मामले आवंटित करने पर न्यायमूर्ति मिश्रा की आलोचना की थी. न्यायमूर्ति गोगोई, न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने यह प्रेस कांफ्रेंस की थी, जो भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में अपनी तरह की संभवत: पहली प्रेस कांफ्रेंस थी.

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