Assam NRC Draft में शामिल 10% लोगों के पुन: सत्यापन पर विचार कर सकती है शीर्ष अदालत

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवारको कहा कि वह असम में हाल ही में प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मसौदे में शामिल किये गये व्यक्तियों में से दस फीसदी के पुन: सत्यापन पर विचार कर सकता है. शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को बड़ी मानव समस्या करार दिया और राज्य एनआरसी समन्वयक से दावाकर्ताओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2018 10:51 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवारको कहा कि वह असम में हाल ही में प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मसौदे में शामिल किये गये व्यक्तियों में से दस फीसदी के पुन: सत्यापन पर विचार कर सकता है.

शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को बड़ी मानव समस्या करार दिया और राज्य एनआरसी समन्वयक से दावाकर्ताओं को पैतृक दस्तावेजों के नये सेट दायर करने की अनुमति देने के प्रभाव पर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपने को कहा. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन की पीठ ने कहा कि प्रकाशित मसौदे में शामिल व्यक्तियों का पुन: सत्यापन नमूना सर्वेक्षण जैसा होगा जो पास के जिलों के एनआरसी सेवा केंद्रों के अधिकारियों के एक दल द्वारा किया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मसौदे पर दावे और आपत्तियां स्वीकार करने की 30 अगस्त की तारीख भी स्थगित कर दी है. न्यायालय ने दावे और आपत्तियां दाखिल करने के बारे में केंद्र की मानक संचालन प्रक्रिया में कुछ विरोधाभासों का उल्लेख किया है.

अदालत ने अंतिम मसौदा एनआरसी से बाहर रहे लोगों के जिलेवार डेटा पर राज्य एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला की रिपोर्ट पढ़ने के बाद कहा, ‘वह खुद को संतुष्ट करना चाहती है कि पूरी प्रक्रिया गलती मुक्त है.’ राष्ट्रीय नागरिक पंजी का दूसरा मसौदा 30 जुलाई को प्रकाशित किया गया था जिसमे 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किये गये थे. इस मसौदे में 40,70,707 लोगों के नाम नहीं थे. इनमें से 37,59,630 लोगों के नाम अस्वीकार कर दिये गये थे, जबकि 2,48,077 नाम लंबित रखे गये थे.

शीर्ष अदालत ने 31 जुलाई को स्पष्ट किया था कि जिन लोगों के नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मसौदे में शामिल नहीं हैं, उनके खिलाफ प्राधिकारी किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे क्योंकि यह अभी सिर्फ मसौदा ही है. न्यायालय ने मसौदे के प्रकाशन से उत्पन्न दावों और आपत्तियों पर फैसला करने के लिये एक फार्मूला और मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने का केंद्र को निर्देश दिया था. इससे पहले, पीठ ने असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी समन्वयक को निर्देश दिया था कि राज्य में मसौदे में शामिल नहीं की गयी आबादी का जिलेवार प्रतिशत पेश करने किया जाये. केंद्र ने 14 अगस्त को शीर्ष अदालत से कहा था कि नागरिक पंजी के संबंध में दावे और आपत्तियां करने वाले 40 लाख लोगों का बायोमेट्रिक विवरण एकत्र करके अलग पहचान रखने की व्यवस्था की जायेगी.

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