2022 में अंतरिक्ष में मानव भेजेगा भारत, इसरो की योजना तैयार, 16 मिनट में ही तीन भारतीय पहुंचेंगे अंतरिक्ष
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने सोमवार को मानवयुक्त अंतरिक्ष यान की घोषणा की, जिसे जीएसएलवी मैक-3 प्रक्षेपण यान की मदद से अंजाम दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने के लिए प्रस्तावित ‘गगनयान’ मिशन में तीन क्रू सदस्य होंगे, जो अंतरिक्ष के ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में पांच-सात दिनों तक रहेंगे. मिशन […]
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने सोमवार को मानवयुक्त अंतरिक्ष यान की घोषणा की, जिसे जीएसएलवी मैक-3 प्रक्षेपण यान की मदद से अंजाम दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने के लिए प्रस्तावित ‘गगनयान’ मिशन में तीन क्रू सदस्य होंगे, जो अंतरिक्ष के ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में पांच-सात दिनों तक रहेंगे. मिशन की शुरुआत श्रीहरिकोटा से होगी.
प्रक्षेपण के बाद यान 16 मिनट में कक्षा में पहुंचेगा. के सिवन ने कहा कि इसरो ने अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने की प्रौद्योगिकी विकसित करने का काम 2004 में ही शुरू कर दिया था, लेकिन यह परियोजना ‘प्राथमिकता सूची’ में नहीं थी. पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष में भेजे गये अन्य मानव मिशनों की तुलना में यह बहुत किफायती होगा.
क्रू का चयन भारतीय वायुसेना और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा. इसके बाद उन्हें दो-तीन साल तक प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसरो ने अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके पहले भारतीय राकेश शर्मा की भी सलाह लेने की योजना बनायी है. इससे पहले, पीएम मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर कहा था कि 2022 तक एक भारतीय को अंतरिक्ष में भेजा जायेगा.
16 मिनट में ही तीन भारतीय पहुंच जायेंगे अंतरिक्ष में
गगनयान के पहले मिशन में वायु सेना के पायलटों को प्राथमिकता मिलने की उम्मीद है, लेकिन पायलटों के अलावा अन्य व्यक्तियों के चयन का विकल्प भी खुला है.
निश्चित रूप से सभी अंतरिक्ष यात्री अनुसंधानों को अंजाम देनेवाले विशेषज्ञ होंगे. गगनयान में तीन मॉड्यूल होंगे. एक क्रू मॉड्यूल तीन भारतीयों को लेकर जायेगा, जिसे सर्विस मॉड्यूल के साथ जोड़ा जायेगा. दोनों को रॉकेट की मदद से श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जायेगा. गगनयान को अरब सागर में उतारने की योजना है.
यान को कक्षा से समुद्र की सतह पर उतरने में 36 मिनट का समय लगेगा. वापसी के दौरान 120 किलोमीटर की ऊंचाई पर सर्विस मॉड्यूल भी यान से अलग हो जायेगा और सिर्फ क्रू मॉड्यूल पैराशूट के सहारे समुद्र में उतरेगा. वहीं, अगर कुछ तकनीकी समस्या आती है तो उसे बंगाल की खाड़ी में उतारा जायेगा. सिवन ने बताया कि सिर्फ 20 मिनट के अंदर तीनों भारतीयों को बाहर निकाल लिया जायेगा.
भारत की अंतरिक्ष यात्रा
1984 : भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बने राकेश शर्मा, रूसी अंतरिक्ष स्टेशन में आठ दिन बिताये
2007 : इसरो के मानवयुक्त अंतरिक्ष यात्रा की रूपरेखा तैयार
2008 : भारत और रूस के बीच एमओयू 2010 में रद्द
2014 : जीएसएलवी एमके – III का परीक्षण
2016 : विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने किया ‘पैड अबोर्ट टेस्ट’
2017 : मानवयुक्त अंतरिक्ष यान का प्रारंभिक अनुमान
2018 : श्रीहरिकोटा में ‘पैड अबोर्ट टेस्ट’ सफल
2022 : पीएम मोदी का मानवयुक्त अंतरिक्ष यात्रा का लक्ष्य तय