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भीमा कोरेगांव हिंसा गिरफ्तारी: राहुल गांधी का तंज- न्यू इंडिया में आपका स्वागत है

पुणे (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र पुलिस ने कई राज्यों में वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों में मंगलवार को छापा मारा और माओवादियों से संपर्क रखने के संदेह में उनमें से कम से कम पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया. वहीं, इस कार्रवाई का मानवाधिकार के पैरोकारों ने एक सुर में विरोध किया है. कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी […]

पुणे (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र पुलिस ने कई राज्यों में वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों में मंगलवार को छापा मारा और माओवादियों से संपर्क रखने के संदेह में उनमें से कम से कम पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया. वहीं, इस कार्रवाई का मानवाधिकार के पैरोकारों ने एक सुर में विरोध किया है. कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने मामले को लेकर कहा है कि भारत में अब सिर्फ एकमात्र एनजीओ के लिए जगह है और वह आरएसएस है. दूसरे सभी एनजीओ को बंद कर दो. सभी कार्यकर्ताओं को जेल भेज दो और शिकायत करने वालों को गोली मार दो. न्यू इंडिया में स्वागत है.

वहीं , सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने गिरफ्तारी को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला करार दिया है. उन्होंने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा कि दलितों के खिलाफ हुए भीमा गोरेगांव की हिंसा की शुरुआत से ही पुलिस और केंद्रीय एजेंसी दलित अधिकार के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ताओं और वकीलों को टारगेट कर रही है. यह लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है. इधर , प्रकाश करात ने कहा कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला है. हम केस वापसी की मांग करते हैं.

यहां आपको बता दें कि पिछले साल 31 दिसंबर को एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम के बाद पुणे के पास कोरेगांव – भीमा गांव में दलितों और उच्च जाति के पेशवाओं के बीच हुई हिंसा की घटना की जांच के तहत ये छापे मारे गये हैं. सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि बीते कुछ महीनों में दो पत्र मिले हैं जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा गृह मंत्री राजनाथ सिंह की हत्या की माओवादियों की साजिश का पता चलता है. छापेमारी की एक वजह यह भी थी.

पुलिस की इस कार्रवाई पर प्रसिद्ध लेखिका अरूंधती रॉय ने कहा, ‘‘ये गिरफ्तारियां उस सरकार के बारे में खतरनाक संकेत देती हैं जिसे अपना जनादेश खोने का डर है, और दहशत में आ रही है. बेतुके आरोपों को लेकर वकील, कवि, लेखक, दलित अधिकार कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया जा रहा है …हमें साफ – साफ बताइए कि भारत किधर जा रहा है.”

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हैदराबाद में तेलुगू कवि वरवर राव, मुंबई में कार्यकर्ता वेरनन गोन्जाल्विस और अरूण फरेरा, फरीदाबाद में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और दिल्ली में सिविल लिबर्टीज के कार्यकर्ता गौतम नवलखा के आवासों में तकरीबन एक ही समय पर तलाशी ली गयी. अधिकारी ने बताया कि तलाशी के बाद राव, भारद्वाज, फरेरा, गोन्जाल्विस और नवलखा को आईपीसी की धारा 153 (ए) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. यह धारा धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, आवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने और सौहार्द बनाए रखने के में बाधा डालने वाली गतिविधियों से संबद्ध है.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि इन लोगों पर आईपीसी की कुछ अन्य धाराएं और उनकी कथित नक्सली गतिविधियों को लेकर गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून की धाराएं भी लगायी गयी हैं. झारखंड में आदिवासी नेता फादर स्तान स्टेन स्वामी के परिसरों में भी तलाशी ली गयी लेकिन उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया है. नयी दिल्ली में नवलखा को भी गिरफ्तार किये जाने के शीघ्र बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस को उन्हें कम से कम बुधवार शाम तक दिल्ली से बाहर नहीं ले जाने का आदेश दिया.

दरअसल, उच्च न्यायालय नवलखा की ओर से उनके वकील द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रहा था. महाराष्ट्र पुलिस द्वारा नवलखा को मंगलवार दोपहर उनके घर से उठा लिये जाने के बाद यह याचिका दायर की गयी थी. इसी तरह पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा सुधा भारद्वाज के लिए ट्रांजिट रिमांड हासिल किए जाने तक उन्हें उनके ही घर में रखा जाए. अपुष्ट खबरों के मुताबिक जिन अन्य लोगों के आवास में छापे मारे गये, उनमें सुसान अब्राहम, क्रांति टेकुला और गोवा में आनंद तेलतुंबदे शामिल हैं.

गौरतलब है कि कोरेगांव – भीमा, दलित इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. वहां करीब 200 साल पहले एक बड़ी लड़ाई हुई थी, जिसमें पेशवा शासकों को एक जनवरी 1818 को ब्रिटिश सेना ने हराया था. अंग्रेजों की सेना में काफी संख्या में दलित सैनिक भी शामिल थे. इस लड़ाई की वर्षगांठ मनाने के लिए हर साल पुणे में हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग एकत्र होते हैं और कोरेगांव भीमा से एक युद्ध स्मारक तक मार्च करते हैं.

पुलिस के मुताबिक इस लड़ाई की 200 वीं वर्षगांठ मनाये जाने से एक दिन पहले 31 दिसंबर को एल्गार परिषद कार्यक्रम में दिये गये भाषण से हिंसा भड़क गयी. वहीं, आज का घटनाक्रम जून में की गई छापेमारी के ही समान है जब हिंसा की इस घटना के सिलसिले में पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था. एल्गार परिषद के कार्यक्रम के सिलसिले में जून में गिरफ्तार किये गये पांच लोगों में एक के परिसर में ली गयी तलाशी के दौरान पुणे पुलिस ने एक पत्र बरामद होने का दावा किया था, जिसमें राव के नाम का जिक्र था. विश्रामबाग थाने में दर्ज एक प्राथमिकी के मुताबिक इन पांच लोगों पर माओवादियों से करीबी संबंध रखने का आरोप है. राव को हैदराबाद में गांधी नगर स्थित उनके आवास से पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया.

पुलिस ने इससे पहले उनकी दो बेटियों के आवासों की भी तलाशी ली. यहां एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि राव की दो बेटियों और एक पत्रकार सहित अन्य के आवासों में पुलिस टीम ने तलाशी ली. पुलिस उपायुक्त (मध्य क्षेत्र) विश्व प्रसाद ने बताया, ‘‘पुणे पुलिस ने हमारी मदद मांगी। हमने तलाशी करने और गिरफ्तारी में मदद के लिए स्थानीय बल मुहैया किया. उन्हें (राव को) एक अदालत में पेश किया जाएगा और ट्रांजिट वारंट पर पुणे ले जाया जाएगा.”

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