अरविंद केजरीवाल पर आशुतोष का गंभीर आरोप : लोकसभा चुनाव में ‘सरनेम’ लगाने का दबाव बनाया गया

नयी दिल्‍ली : आम आदमी पार्टी (आप) के सबसे बड़े नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की स्वच्छ राजनीति के दावों की पोल खुलती जा रही है. केजरीवाल से अलग हुए एक और नेता आशुतोष ने कहा है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल ने उन पर अपनेनामके साथ सरनेम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2018 3:20 PM

नयी दिल्‍ली : आम आदमी पार्टी (आप) के सबसे बड़े नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की स्वच्छ राजनीति के दावों की पोल खुलती जा रही है. केजरीवाल से अलग हुए एक और नेता आशुतोष ने कहा है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल ने उन पर अपनेनामके साथ सरनेम लगाने का दबाव बनाया था. पत्रकारिता छोड़कर अरविंद केजरीवाल के साथ आशुतोष ने राजनीतिकपारी की शुरुआत की थी.

मीडिया में उनके द्वारा अरविंद केजरीवाल पर हमला की खबर से आशुतोष उखड़ गये. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि वे आम आदमी पार्टी ब्रिगेड के सदस्य नहीं हैं.

आशुतोष ने मीडिया को आड़े हाथ लेते हुए ट्वीट किया, ‘टीवीहॉक्स ने मेरे ट्वीट को गलत समझा. अब मैं आम आदमी पार्टी में नहीं हूं, न ही पार्टी के अनुशासन से बंधा हूं. मैं अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हूं. मेरे शब्दों को ‘आप’ पर हमला कहना सही नहीं है. इसे मीडिया की आजादी का घालमेल ही कहेंगे. मुझे माफ करें. मैं एंटी आप ब्रिगेड का सदस्य नहीं हूं.’

इससे पहले आशुतोष ने ट्वीट कर कहा था, ‘23 साल के मेरे पत्रकारिता कैरियर में किसी ने मुझसे सरनेम नहीं पूछा. मैं अपने नाम से जाना जाता था. लेकिन, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में जब पार्टी कार्यकर्ताओं से मेरा परिचय काया गया, तो मेरी आपत्ति के बावजूद मेरे सरनेम को प्रमुखता से बताया गया. बाद में मुझसे कहा गया : सर आप जीतोगे कैसे, आपकी जाति के यहां काफी वोट हैं.’

आम आदमी पार्टी से अलग हो चुके आशुतोष ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने 2014 के चुनाव में जब उन्‍हें चांदनी चौक से बतौर प्रत्‍याशी मैदान में उतारा था, तब उन पर अपने नाम के आगे ‘सरनेम’ लगाने का दवाब बनाया गया था. उन्‍होंने इसे पार्टी की वोटबैंक और कास्‍ट की पॉलिटिक्‍स बताया.

ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने आशुतोष को चांदनी चौक लोकसभा सीट से प्रत्‍याशी बनाया था. भाजपा के डॉ हर्षवर्धन ने आशुतोष को पराजित कर दिया था. आशुतोष ने निजी कारणों का हवाला देते हुए 15 अगस्त को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.

उन्होंने ट्वीट करके इस्तीफे का एलान करते हुए कहा था कि वे इस मसले पर पत्रकारों के किसी सवाल का जवाब नहीं देंगे. उन्होंने लिखा था, ‘हर यात्रा का एक अंत होता है. आपके साथ यात्रा बेहद क्रांतिकारी और खूबसूरत रहा. मैं इस्तीफा देते हुए पार्टी की कार्यकारिणी परिषद से आग्रह करता हूं कि वे इसे स्वीकार करें. मैंने विशुद्ध निजी कारणों से यह फैसला लिया है. इस यात्रा के दौरान मेरा साथ देने वाले सभी कार्यकर्ता के प्रति आभार प्रकट करता हूं.’

इसके साथ ही आशुतोष ने मीडिया से अपील की कि कृपया मेरी निजता का सम्मान करें, क्योंकि मैं इस संदर्भ में किसी भी प्रकार को कोई और बयान नहीं दूंगा.

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