छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाया आरोप, बस्तर में बच्चों की भर्ती कर रहे हैं माओवादी

नयी दिल्ली : छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि बस्तर में माओवादी अपनी ताकत बढ़ाने के लिए बच्चों की भर्ती कर रहे हैं. राज्य सरकार ने कहा कि इससे बस्तर इलाके में आदिवासियों की भविष्य की पीढ़ी बर्बाद हो जायेगी. राज्य सरकार ने उस अर्जी को खारिज करने की मांग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2018 10:35 PM

नयी दिल्ली : छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि बस्तर में माओवादी अपनी ताकत बढ़ाने के लिए बच्चों की भर्ती कर रहे हैं. राज्य सरकार ने कहा कि इससे बस्तर इलाके में आदिवासियों की भविष्य की पीढ़ी बर्बाद हो जायेगी. राज्य सरकार ने उस अर्जी को खारिज करने की मांग की है, जिसमें छह अगस्त को हुई उस घटना की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गयी है. इसमें 15 कथित माओवादियों को सुकमा में हुई एक मुठभेड़ में मार गिराया गया था और इसे भारत का सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिला. करार दिया गया था.

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साल 2007 से अब तक राज्य में माओवादी हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या का ब्योरा देते हुए राज्य सरकार ने कहा कि 1,020 सुरक्षाकर्मी और 45 सरकारी कर्मी ऐसी घटनाओं में मारे गये हैं. याचिका पर शुरुआती ऐतराज जताते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि 2007 से अब तक माओवादी हिंसा में 1,027 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं, जबकि इस अवधि में माओवादियों ने 579 हथियार लूटे.

छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा कि यह जिक्र करना अहम है कि बस्तर संभाग में माओवादी अपनी ताकत बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को भर्ती कर रहे हैं और उनके माता-पिता को अपने बच्चों से अलग होने को मजबूर कर रहे हैं. हाल में कई रिपोर्टों में भी इसका जिक्र है.

एक हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि माओवादियों द्वारा छोटे-छोटे बच्चों का शोषण एक सर्वविदित तथ्य है और बच्चों के हाथों में बंदूक थमाकर माओवादी उनका बचपन और बस्तर में आदिवासियों की भविष्य की पीढ़ियों को बर्बाद कर रहे हैं. वहीं, याचिकाकर्ता एनजीओ सिविल लिबर्टीज कमेटी की दलीलों के जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि छह अगस्त की घटना में न तो कोई महिला और न ही कोई नाबालिग मारा गया.

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