एमपीलैड योजना के तहत जीआईएस से जोड़े गये देश के 100 जिले

नयी दिल्ली : सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) योजना के तहत चलायी जाने वाली विभिन्न परियोजनाओं में दोहराव रोकने के उद्देश्य से सरकार ने करीब 100 जिलों में कामकाज को भौगोलिक सूचना प्रणाली से जोड़ दिया है. कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री डीवी सदानंद गोडा ने गुरुवार को यह जानकारी दी. इसके साथ ही, सांसद भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2018 5:34 PM

नयी दिल्ली : सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) योजना के तहत चलायी जाने वाली विभिन्न परियोजनाओं में दोहराव रोकने के उद्देश्य से सरकार ने करीब 100 जिलों में कामकाज को भौगोलिक सूचना प्रणाली से जोड़ दिया है. कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री डीवी सदानंद गोडा ने गुरुवार को यह जानकारी दी. इसके साथ ही, सांसद भी अब अपने क्षेत्र की विकास परियोजनाओं के लिए इस भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन दे सकेंगे.

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कार्यक्रम क्रियान्यन मंत्री ने योजनाओं की समीक्षा करने के बाद संवाददाताओं के साथ बैठक में कहा कि सांसद क्षेत्र विकास निधि के तहत 100 जिलों में कामकाज को भोगौलिक स्थिति के साथ जोड़ दिया गया है. अपडेट किये गये पोर्टल में विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले कार्यों को जियो-टैग किया जा सकता है. इस सुविधा से राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को योजना के तहत होने वाले बेहतर कार्यों और अनुभवों को साझा किया जा सकेगा.

सदानंद गोडा ने कहा कि इस पोर्टल से जुड़ने के बाद योजना के तहत कार्यों के दोहराव से बचा जा सकेगा. कई बार ऐसा होता है कि एक ही स्थान के लिए एक से अधिक बार धन की मांग की जाती है. योजना के तहत जिन 100 जिलों को भौगोलिक सूचना प्रणाली से जोड़ा गया है, ये सांसद निधि क्षेत्र 90 अलग-अलग लोकसभा सीटों में पड़ते हैं.

मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि जिला प्रशासन उनके क्षेत्र में चलने वाले सभी कार्यों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध करायें. उन्होंने यह भी कहा कि सांसद क्षेत्र विकास निधि के तहत आवंटित धन में से जुलाई तक 75 फीसदी से अधिक धन का इस्तेमाल कर लिया गया है. वहीं, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 31 जुलाई 2018 तक सांसद क्षेत्र विकास निधि के तहत 7,097 करोड़ रुपये के जारी किये गये कोष में से 2,932 करोड़ रुपये की किस्त ही बाकी रह गयी थी. इसमें कहा गया है कि 17 राज्यों में जारी किये गये कुल धन में से 10 प्तिशत ही बिना खर्च का बचा है.

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