नेताओं के मुकदमों की सुनवाई विशेष अदालत में कराने के प्रति केंद्र के रवैये से सुप्रीम कोर्ट नाराज

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने नेताओं की संलिप्ततावाले मुकदमों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें गठित करने के बारे में केंद्र द्वारा विवरण मुहैया नहीं कराने पर गुरुवार को अप्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि सरकार ‘तैयार नहीं लगती है. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षतावाली पीठ ने कहा, सरकार अपने इस मामले में कुछ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2018 8:00 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने नेताओं की संलिप्ततावाले मुकदमों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें गठित करने के बारे में केंद्र द्वारा विवरण मुहैया नहीं कराने पर गुरुवार को अप्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि सरकार ‘तैयार नहीं लगती है.

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षतावाली पीठ ने कहा, सरकार अपने इस मामले में कुछ आदेश पारित करने के लिए बाध्य कर रही है जो हम इस समय नहीं करना चाहते. केंद्र सरकार तैयार नहीं है. पीठ ने कहा, भारत सरकार लगता नहीं है कि इसके लिए तैयार है. पीठ ने न्यायालय के निर्देशानुसार इस मामले में सरकार द्वारा दायर अतिरिक्त हलफनामे का अवलोकन किया जिसमे कहा गया था कि 11 राज्यों को ऐसी 121 विशेष अदालतें स्थापित करने के लिए धन उपलब्ध कराया गया है. ऐसी प्रत्येक विशेष अदालत में लंबित मुकदमों की संख्या के संबंध में न्यायालय के सवाल पर केंद्र ने कहा कि विधि एवं न्याय मंत्रालय इन अदालतों को सौंपे गये और इनमें लंबित तथा यहां निबटाये गये मुदकमों की सूचना प्राप्त करने के लिए संबंधित प्राधिकारियों के बारे में बात कर रहा है.

पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद इस मामले को 12 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया. केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि दिल्ली में दो और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में एक-एक विशेष अदालत गठित की गयी है. हलफनामे में कहा गया है, ‘तमिलनाडु के अलावा, जहां बताया गया है कि मामला मद्रास उच्च न्यायालय के पास विचाराधीन है, सभी राज्य सरकारों और उच्च न्यायालयों ने अपने-अपने राज्यों में विशेष अदालतें गठित करने के लिए अधिसूचनाएं जारी कर दी हैं.’ इन 12 विशेष अदालतों के अलावा भी और अदालतें गठित करने के बारे में न्यायालय के सवाल पर केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि कर्नाटक, इलाहाबाद, मध्य प्रदेश, पटना, कलकत्ता और दिल्ली उच्च न्यायालयों ने सूचित किया है कि अतिरिक्त विशेष अदालतों की आवश्यकता नहीं है, जबकि बंबई उच्च न्यायालय ने एक और अदालत की आवश्यकता बतायी है.

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