जस्टिस गोगोई हो सकते हैं देश के अगले प्रधान न्यायाधीश, दीपक मिश्रा ने की सिफारिश

नयी दिल्ली : जस्टिस रंजन गोगोई देश के अगले प्रधान न्यायाधीश हो सकते हैं. वर्तमान मुख्‍य न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा ने उनके नाम की सिफारिश सरकार से कर दी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऐसी खबर है कि जस्टिस गोगोई 3 अक्तूबर को शपथ ले सकते हैं. न्‍यूज एजेंसी एएनआई ने भी सूत्रों के हवाले से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 1, 2018 8:11 PM

नयी दिल्ली : जस्टिस रंजन गोगोई देश के अगले प्रधान न्यायाधीश हो सकते हैं. वर्तमान मुख्‍य न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा ने उनके नाम की सिफारिश सरकार से कर दी है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऐसी खबर है कि जस्टिस गोगोई 3 अक्तूबर को शपथ ले सकते हैं. न्‍यूज एजेंसी एएनआई ने भी सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है.परंपरा के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज को मुख्‍य न्‍यायाधीश बनाया जाता है. ऐसे में वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस गोगोई का नाम सबसे आगे है. जस्टिस रंजन गोगोई को 28 फरवरी 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट का जज बनाया गया था.

12 फरवरी 2011 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायधीश बनाया गया. इसके बाद अप्रैल 2012 में उन्हें सुप्रीमकोर्ट में लाया गया.इधर एक कार्यक्रम में दीपक मिश्रा ने कहा, न्यायिक व्यवस्था में बुनियादी ढांचे की कमी को न्याय प्रशासन पर गहरा निशान छोड़ने से पहले ही जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिये और वित्तीय बाधाओं को बहाना के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) द्वारा आयोजित ‘प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे: शीघ्र न्याय की कुंजी’ और ‘भारत में कानूनी शिक्षा का बदलता चेहरा’ विषय पर अपने व्याख्यान में न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि न्यायपालिका को मजबूत करना गुणात्मक और त्वरित न्याय में मददगार होगा.

उन्होंने कहा, आधारभूत ढांचे की कमी को बढ़ने नहीं दिया जाना चाहिये और न्याय प्रशासन पर गहरा निशान छोड़ने से पहले यथाशीघ्र इसका समाधान किया जाना चाहिए. वित्तीय बाधाएं कोई बहाना नहीं हैं. आवश्यकता न्यायपालिका को मजबूत करने की है, जिसके परिणामस्वरूप न्याय प्रदान करने की व्यवस्था तेज, गुणात्मक रूप से उत्तरदायी हो और न्याय के उद्देश्य की पूर्ति करे.

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