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दल-बदलुओं को उपराष्ट्रपति की नसीहत : अपनी पार्टी छोड़ने वालों को त्याग देना चाहिए सदन की सदस्यता

नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने मंगलवार को दल बदलने वाले नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि अपनी पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को सदन की सदस्यता भी छोड़ देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह तो नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे नैतिकता के आधार पर अपनी पार्टी छोड़ने के साथ ही सदन की […]

नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने मंगलवार को दल बदलने वाले नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि अपनी पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को सदन की सदस्यता भी छोड़ देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह तो नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे नैतिकता के आधार पर अपनी पार्टी छोड़ने के साथ ही सदन की सदस्यता भी छोड़ दें. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं, जो अपनी नैतिक जिम्मेदारियों का पालन करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है, जो नैतिक जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं करते.

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मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, उन्होंने पार्टी बदलने वाले नेताओं के खिलाफ जल्दी कार्रवाई करने के लिए दलबदल रोधी कानून में सुधार करने का सुझाव भी दिया है. उन्होंने कहा कि मैं इसे संवैधानिक जिम्मेदारी बनाना चाहता हूं. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि अब वह समय आ गया है कि व्यवस्था में बाधा डालने वाले सदस्यों से निपटने की खातिर संसद के नियमों की रूपरेखा में फिर से बदलाव किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके इस सुझाव पर यदि आम सहमति बनती है, तो ऐसा किया जाना संभव भी है.

उन्होंने कहा कि उच्च सदन (राज्यसभा) के नियमों में संशोधन के लिए उनकी ओर से गठित की गयी समिति ने अपनी आरंभिक रिपोर्ट सौंप दी है. उन्होंने संभावना जाहिर करते हुए कहा कि यह समिति अपनी अंतिम रिपोर्ट आगामी अक्टूबर महीने के आखिर तक जमा कर दे. उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि वे राज्यसभा की प्रतिष्ठा और व्यवस्था को बनाये रखने को लेकर काफी चिंतित हैं.

हालांकि, उन्होंने दल बदलने के मामलों में पीठासीन पदाधिकारियों की ओर से फैसला सुनाने में होने वाली देरी पर भी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने इस लेट-लतीफी को गलत बताते हुए यह साफ कर दिया है कि ऐसे मामलों का निपटारा तीन महीने के अंदर हो जाना चाहिए.

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