सवर्णों का भारत बंद: बिहार में सांसद पप्पू यादव पर हमला, प्रदर्शनकारियों ने रोकी ट्रेन
पटना/लखनऊ/भोपाल : अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम में हाल ही में किये गये संशोधन के खिलाफ बृहस्पतिवार को भारत बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने बिहार और उत्तर प्रदेश में कई ट्रेनें रोकी और राजमार्ग जाम कर दिया. वहीं, देश के कुछ अन्य उत्तरी राज्यों में दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखीं. बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, […]
पटना/लखनऊ/भोपाल : अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम में हाल ही में किये गये संशोधन के खिलाफ बृहस्पतिवार को भारत बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने बिहार और उत्तर प्रदेश में कई ट्रेनें रोकी और राजमार्ग जाम कर दिया. वहीं, देश के कुछ अन्य उत्तरी राज्यों में दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखीं.
बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब के कई इलाकों में दुकानें, स्कूल और अन्य वाणिज्यिक संस्थान बंद रहे. हालांकि, आरक्षण विरोधी संस्थाओं द्वारा बुलायी बंद का असर देश के बाकी हिस्सों में कम रहा. बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हिंसा की छिटपुट घटनाएं भी हुईं. बंद के दौरान यात्रा कर रहे बिहार के दो नेताओं – जदयू नेता श्याम रजक और मधेपुरा से सांसद राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव को गुस्साई भीड़ का सामना करना पड़ा। पुलिस मुख्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर जिला में खबडा के पास बंद समर्थकों ने पप्पू यादव की गाड़ी के गुजरने का विरोध किया.
इसी दौरान बंद समर्थकों और पप्पू के सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प हुई. मधुबनी जा रहे पप्पू ने रोते हुए पत्रकारों को बताया कि बंद समर्थकों के भेष में अपराधियों ने उन पर जानलेवा हमला किया और अभद्र भाषा का प्रयोग किया. उन्होंने कहा, ‘‘अगर मेरे साथ सुरक्षाकर्मी नहीं होते, तो वे लोग मेरी हत्या कर देते.” पुलिस मुख्यालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बंद समर्थकों ने बेगूसराय जिले के लाखो थाना अंतर्गत इनियार ढाला के पास से गुजर रहे विधायक श्याम रजक की गाड़ी पर पथराव किया जिसमें उन्हें मामूली चोट आयी और उनका वाहन क्षतिग्रस्त हो गया.
रजक बिहार विधानसभा की अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण समिति के अध्यक्ष हैं, अपनी समिति के साथ अध्ययन यात्रा पर बेगूसराय से खगड़िया जिला जा रहे थे. उन्होंने कहा कि इस हमले में उनके अंगरक्षक और वाहन चालक को भी चोट आयी है. जहानाबाद के घोषी थाना क्षेत्र में बंद समर्थकों द्वारा पुलिस पर पथराव किए जाने से अपर पुलिस अधीक्षक (अभियान) जख्मी हो गये जिनका स्थानीय सरकारी अस्पताल में इलाज कराया गया.
बंद समर्थकों ने पटना के साथ – साथ वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, भोजपुर, सिवान, बक्सर, जहानाबाद, गया, नवादा, नालंदा, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर और भागलपुर में कई स्थानों पर सड़क जाम कर यातायात को बाधित किया और ट्रेनें रोकीं. बंद समर्थकों ने पटना के राजेन्द्र नगर टर्मिनल पर तोड़-फोड़ की और करीब 30 मिनट तक ट्रेनों की आवाजाही बाधित की.
उत्तर प्रदेश के कई जिलों से मिली खबर के मुताबिक बंद के दौरान आमतौर पर जनजीवन सामान्य बना रहा. बलिया में बैरिया से भाजपा विधायक सुरेन्द्र सिंह बंद के समर्थन में खुलकर सामने आये। उन्होंने कहा कि सवर्णों ने उन्हें विधायक बनाया है. मुसलमानों और दलितों ने नहीं. वह सवर्णों के लिए कुर्बानी देने को तैयार हैं. अगर ”मेरे सवर्ण समर्थक कहेंगे तो मैं विधायक पद से इस्तीफा भी दे सकता हूं.”
बलिया सदर से भाजपा विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला के साथ बंद समर्थकों की कहासुनी हुई. बलिया पुलिस अधीक्षक श्रीपर्णा गांगुली ने कहा कि कुछ लोगों ने पथराव किया, जिसमें छह पुलिसकर्मी घायल हुए. पनकी थाना इंस्पेक्टर एस एन पाण्डेय ने बताया कि कानपुर में प्रदर्शनकारियों ने पनकी में आगरा इंटरसिटी रोक दी लेकिन जीआरपी और आरपीएफ ने मौके पर पहुंचकर हालात संभाल लिये। एटा में प्रदर्शनकारियों ने जलेसर विधायक संजीव दिवाकर के आवास का घेराव किया. उन्हें पुलिस बुलानी पड़ी. प्रदर्शनकारी सरकार विरोधी नारेबाजी कर रहे थे. आगरा में मुख्य बाजार की दुकानें बंद रहीं. प्रदर्शनकारियों ने कहीं-कहीं ट्रैफिक जाम किया.
सोनभद्र से मिली खबर के मुताबिक बंद का असर देखने को मिला. राबर्ट्सगंज प्रशासन के मुताबिक 50 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया. गोरखपुर में बंद के आह्वान के कारण भारी पुलिस बल तैनात किया गया था. प्रदर्शनकारियों ने गोरखपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाया. कुशीनगर में प्रदर्शनकारियों ने सरकार का पुतला फूंका. देवरिया में छात्रों ने संत विनोबा भावे डिग्री कालेज के सामने प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी कार्यालय को ज्ञापन दिया गया.
भारत बंद पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोले, ”इसका (भारत बंद) कोई मतलब नहीं है. जनता की अपनी भावनाएं हैं. लोकतंत्र में हर किसी को अपनी भावना व्यक्त करने का अधिकार है.” मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस देश के प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षा, खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमने जाति एवं धर्म के आधार पर कभी राजनीति नहीं की. समाज के दबे कुचले लोगों को संरक्षण देने के लिए यह कानून बनाया गया है. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इसका किसी भी तरह से दुरुपयोग न हो.
मध्य प्रदेश में छिटपुट घटनाओं को छोड़कर कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. किसी के भी हताहत होने की खबर नहीं है. इस संबंध में एक खुफिया अधिकारी ने कहा कि इस बंद की सबसे आश्चर्य की बात यह रही कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों ने भी इस बंद का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि रीवा, सतना और छतरपुर में 10,000 से अधिक प्रदर्शनकारी सड़कों पर आ गये. कुछ प्रदर्शनकारी अशोक नगर जिले के शडोरा इलाके में रेलवे की पटरियों पर बैठ गये.
अधिकारी ने कहा कि रीवा में एक ट्रेन को रोकने का प्रयास भी किया गया. उन्होंने कहा कि उज्जैन जिले के ग्रामीण इलाके में एक जगह दलित एवं सवर्ण जाति के लोग आमने-सामने हो गये। हालांकि, पुलिस ने स्थिति को संभाल लिया। अधिकारी ने बताया कि प्रदेश की कुछ जगहों पर पथराव की घटनाओं की भी खबर है. पथराव के चलते पुलिस को उग्र प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए शहडोल में लाठीचार्ज भी करना पड़ा. उन्होंने कहा कि गुना जिले के आरोन में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े.
उन्होंने कहा कि हालांकि, बंद का असर आदिवासी बहुल जिलों में उतने बड़े पैमाने पर नहीं था जितना सवर्णों के इलाकों में था. मध्यप्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक (इंटेलीजेंस) मकरंद देउस्कर ने कहा, ‘‘प्रदेश के सभी जिलों में कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया है. हालांकि, गिरफ्तार किये गये लोगों की कुल संख्या कितनी है, यह अभी नहीं बताया जा सकता है. इस आंकड़े को इकट्ठा किया जा रहा है.”
बंद के दौरान प्रदेश के अधिकतर इलाकों में निजी स्कूल, पेट्रोल पंप, बाजार एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे. खंडवा जिले में ‘सपाक्स समाज’ के सदस्यों ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने प्रदर्शन किया. ‘सपाक्स समाज’ एक राजनीतिक दल है, जो हाल ही में बनाया गया है. बाद में चौहान इन सदस्यों के पास गये और उनसे ज्ञापन लिया. मध्यप्रदेश सरकार ने बंद के मद्देनजर प्रदेश के अधिकतर जिलों में एहतियाती तौर पर धारा 144 लगायी थी और समूचे प्रदेश में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये थे. पंजाब और हरियाणा में बंद का मामूली असर देखा गया.
हालांकि, पंजाब के फगवाड़ा में दुकानें, कारोबारी संस्थान बंद रहे. बंद का आह्वान संसद द्वारा हाल में पारित अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण कानून के विरोध में किया गया.