नयी दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि जिस अपराधी का रिकॉर्ड पुलिस डाटाबेस में उपलब्ध नहीं है, उसके बारे में सुरक्षा एजेंसियां सोशल मीडिया पर गहराई से चीजें खंगालने में खुद को समर्थ बनाने के लिए नये सॉफ्टवेयर और चेहरा पहचानने वाली उन्नत तकनीक हासिल करने का प्रयास कर रही है. सिंह ने कहा कि साइबर अपराध सुरक्षा प्रतिष्ठान के लिए बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि आतंकवादी रंगरूटों की भर्ती तथा बड़े अपराधियों के मार्फत गोपनीय सूचनाओं की खरीद-बिक्री के लिए ‘डार्क इंटरनेट’ का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसलिए पहली बार उन्होंने गृह मंत्रालय में साइबर सुरक्षा संभाग बनाया है. पीएचडी चैंबर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय रक्षा एवं गृह सुरक्षा एक्सपो और कांफ्रेंस, 2018 का उद्घाटन करते हुए सिंह ने कहा कि सुरक्षा सुनिश्चित करने में ड्रोनों का उपयोग जरुरी पाया गया है और केंद्र सरकार इस देश में उनके समग्र इस्तेमाल पर शीघ्र एक नीति लायेगी.
उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि ड्रोन हमारे सुरक्षाबलों के लिए बड़े उपयोगी होंगे. मैंने नक्सल विरोधी अभियानों में उनकी क्षमता और उपयोगिता देखी है. गृहमंत्री ने फिर नयी उच्च प्रौद्योगिकी की चर्चा की, जिन्हें देश की सुरक्षा एजेंसियां खरीदना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि हम सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से अपराधियों का पता लगा सकते हैं, लेकिन कई बार उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है. हम कोशिश कर रहे हैं कि चेहरे को पहचानने वाली तकनीक बेहतर हों, ताकि यदि अपराधी की सीसीटीवी कैमरों से पहचान न हो, तो उसे पहचान के लिए तकनीक हो.
उन्होंने कहा कि हम यह भी प्रयास कर रहे हैं कि जब सीसीटीएनएस में उनके (अपराधियों) बारे में कोई सूचना नहीं हो, तब हमारे पास ऐसा सॉफ्टवेयर हो, जो सोशल मीडिया नेटवर्क पर चीजें खंगाल सकें ओर ऐसे तत्वों के बारे में संबंधित सूचनाओं का मिलान हो पाये.