नयी दिल्ली : एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में 1980 के बाद पैदा हुए युवा (मिलेनियल्स) अपनी शानदार कॉरपोरेट नौकरियां छोड़कर शिक्षक का पेशा अपना रहे हैं ताकि अपने कौशल का सही इस्तेमाल कर छात्रों को ज्ञान से लैस कर सकें.
बेंगलुरु स्थित शिक्षण प्रौद्योगिकी स्टार्टअप ‘कूमैथ’ की ओर से 3,000 से ज्यादा शिक्षकों पर कराये गये इस अध्ययन में खुलासा हुआ है कि शिक्षक के तौर पर करियर विकल्प चुन रहे 1980 के बाद पैदा हुए युवाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
इस विश्लेषण के मुताबिक, 50 फीसदी शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें कॉरपोरेट नौकरी का अनुभव है. इन आंकड़ों से यह खुलासा भी हुआ है कि 58 फीसदी से ज्यादा शिक्षक 20-35 वर्ष के आयु वर्ग में हैं जो एक दशक पहले के आंकड़ों से बहुत अलग है.
अध्ययन के मुताबिक, 53 फीसदी शिक्षकों ने एमई, एमटेक, एमकॉम, एमबीए और पीएचडी को अपनी पहली या सर्वोच्च योग्यता बताया जबकि 44 फीसदी शिक्षकों ने बीई, बीटेक, बीएससी को अपनी योग्यता बताया.
‘कूमैथ’ के संस्थापक और सीईओ मनन खुरमा ने बताया, ढेरों कामकाजी पेशेवर आज शिक्षण का पेशा अपना रहे हैं, क्योंकि शिक्षण को करियर के तौर पर अपनाने से उन्हें संतुष्टि मिलती है.