बच्चों का ऑडियो या वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर साझा नहीं कर सकते शिक्षक
नयी दिल्ली/ रांची : आम तौर पर देखा जाता है कि नर्सरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक मूल्यांकन उद्देश्यों के लिए बच्चों का ऑडियो व वीडियो क्लिप बनाते हैं. इसके अलावा उनके फोटो भी खींच कर सोशल मीडिया पर साझा करते हैं. लेकिन यह गलत है. ये बच्चों की गोपनीयता से जुड़ा एक गंभीर मसला […]
नयी दिल्ली/ रांची : आम तौर पर देखा जाता है कि नर्सरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक मूल्यांकन उद्देश्यों के लिए बच्चों का ऑडियो व वीडियो क्लिप बनाते हैं. इसके अलावा उनके फोटो भी खींच कर सोशल मीडिया पर साझा करते हैं. लेकिन यह गलत है. ये बच्चों की गोपनीयता से जुड़ा एक गंभीर मसला है.
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीइआरटी) ने इसे गंभीरता से लिया है. साथ ही आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया है, जो देश भर में स्थित प्री-स्कूलों के लिए है. जानकारी के अनुसार सुरक्षा की नजर से ऑडियो-वीडियो क्लिप को साझा करने से रोका गया है. यदि माता-पिता या अभिभावकों की सहमति होती है, तो ही बच्चों के ऑडियो-वीडियो क्लिप को सोशल मीडिया पर साझा किया जा सकता है.
क्या है दिशा-निर्देश
जानकारी के अनुसार राज्यों से सलाह के बाद ही नर्सरी स्कूलों के लिए एनसीइआरटी की ओर से ये दिशा-निर्देश जारी किये हैं. दिशा-निर्देशों के तहत अब नर्सरी या प्री-स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक बच्चों का ऑडिया-वीडियो क्लिप या फोटो खींच तो सकते हैं, लेकिन उसे सिर्फ अपने तक की सीमित रखना होगा. इसके अलावा एनसीइआरटी की ओर से तीन से छह वर्ष के बच्चों के लिए पहली कक्षा से पहले दो साल की अनिवार्य नर्सरी शिक्षा का सुझाव दिया है. इसे लागू करने के संबंध में भी बताया गया है.
शिक्षक क्यों बनाते हैं विद्यार्थियों का ऑडियो या वीडियो क्लिप
बच्चों का ऑडियो या वीडियो क्लिप शिक्षक इसलिए बनाते हैं, ताकि उसे सुन या देख कर वे बच्चे के अंदर हो रहे विकास के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें. उन्हें आगे और अच्छा करने की प्रेरणा दे सकें. इसी के आधार पर कमजोर बच्चों को अलग से क्लास रूम प्रोग्राम दिया जाता है. हालांकि एनसीइआरटी का मानना है कि स्कूल और शिक्षकों को बच्चों के उन ऑडियो या वीडियो क्लिप को गोपनीयता संबंधी विषयों के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए.