नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शीर्ष अदालत के पहले के एक आदेश में निर्धारित प्रक्रिया के पालन के बगैर ही जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा राज्य में कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के मामले में हस्तक्षेप से मंगलवार को इनकार कर दिया.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने शीर्ष अदालत के पहले के आदेश में संशोधन के लिए राज्य सरकार की अर्जी पर केंद्र को नोटिस जारी कर उससे इस पर जवाब मांगा है. इस मामले में अगले सप्ताह आगे सुनवाई होगी. राज्य सरकार ने सुरक्षा की स्थिति को देखते हुए निर्धारित प्रक्रिया के पालन के बगैर ही छह सितंबर को राज्य के पुलिस महानिदेशक एसपी वैद को परिवहन आयुक्त नियुक्त करते हुए उनके स्थान पर दिलबाग सिंह को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया था. राज्य सरकार ने सात सितंबर को शीर्ष अदालत में एक अर्जी दायर कर न्यायालय के पहले के आदेश में संशोधन का अनुरोध किया. इस आदेश में सभी राज्यों के लिए पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति करने से पहले भारतीय पुलिस सेवा के तीन वरिष्ठ अधिकारियों की सूची संघ लोक सेवा आयोग के पास मंजूरी के लिए भेजना अनिवार्य कर दिया गया था.
इस मामले में मंगलवारको सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि शीर्ष अदालत के पहले के आदेश में दो साल के निश्चित कार्यकाल का दुरुपयोग रोकने के लिए कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति करने पर प्रतिबंध लगाया गया था. उन्होंने कहा कि कई राज्य पुलिस अधिकारी को सेवानिवृत्ति से पहले ही कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति करते थे और फिर उन्हें स्थायी पुलिस महानिदेशक बनाकर दो साल के अतिरिक्त कार्यकाल का लाभ दे रहे थे. राज्य सरकार के वकील शोएब आलम ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग के साथ परामर्श से नियमित नियुक्ति होने तक की अवधि के लिए कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति पूरी तरह अंतरिम व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि पुलिस महानिदेशक वैद के स्थानांतरण के 12 घंटे के भीतर ही संघ लोक सेवा आयोग के साथ परामर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी.
इस मामले में मूल याचिकाकर्ता प्रकाश सिंह की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि पुलिस महानिदेशक को राज्य सुरक्षा आयुक्त से परामर्श के बगैर नहीं हटाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक पर नियुक्त अधिकारी को सरकार पहले भर्ती घोटाले में निलंबित कर चुकी थी.