वकील को जज नियुक्त करने की कोलेजियम की सिफारिश के खिलाफ दायर याचिका खारिज

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को वह याचिका खारिज कर दी जिसमें एक वकील को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की कोलेजियम की सिफारिश पर आगे कार्यवाही नहीं करने का निर्देश केंद्र को देने का अनुरोध किया गया था. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2018 7:36 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को वह याचिका खारिज कर दी जिसमें एक वकील को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की कोलेजियम की सिफारिश पर आगे कार्यवाही नहीं करने का निर्देश केंद्र को देने का अनुरोध किया गया था.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है अत: यह न्याय करने योग्य नहीं है. यह याचिका अधिवक्ता अशोक पांडे ने दायर की थी. पीठ ने कहा, कोलेजियम ने अपनी सिफारिश भेजी हैं. यह एक सांविधानिक प्रक्रिया है. इस सांविधानिक प्रक्रिया के बीच में याचिका विचार योग्य नहीं है. पांडे ने जब यह दावा किया कि कोलेजियम ने जिस वकील के नाम की सिफारिश की है उसके खिलाफ आरोप थे और उनके तथा कुछ अन्य के खिलाफ एक प्राथमिकी भी दर्ज की गयी थी, तो पीठ ने कहा, आपने याचिका में कहा है कि प्राथमिकी निरस्त की जा चुकी है. पीठ ने इसके साथ ही याचिका खारिज कर दी.

याचिकाकर्ता ने विधि मंत्रालय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि इस वकील को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की कोलेजियम की सिफारिश पर कार्यवाही नहीं की जाये. याचिका में आरोप लगाया गया था कि 2002 से 2007 के दौरान एक कृषि संस्थान ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 24 और शीर्ष अदालत में पांच यचिकाएं मृत या अस्तित्वहीन व्यक्तियों के नाम से दायर की थी. याचिका के अनुसार, इसी मामले में उच्च न्यायालय ने उस वकील के खिलाफ भी प्राथमिकी दायर करने का आदेश दिया था जिसके नाम की न्यायाधीश पद के लिए कोलेजियम ने सिफारिश की है.

याचिका में कहा गया कि इस वकील ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसे स्वीकार कर लिया गया था. याचिका में दावा किया गया था कि प्राथमिकी निरस्त किये जाने के बाद शीर्ष अदालत काेलेजियम ने इस आधार पर उस वकील को उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी कि उप्र सरकार ने प्राथमिकी निरस्त करने के आदेश को चुनौती नहीं दी है.

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