सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कुष्ठ रोगियों को मिलेगा दिव्यांग का दर्जा, आरक्षित कोटे से दिया जाए लाभ

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र को निर्देश दिये कि कुष्ठ रोगियों को विकलांगता प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए अलग से नियम बनाने पर विचार करे ताकि वे आरक्षण तथा विभिन्न कल्याण योजनाओं का लाभ उठा पाएं. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायामूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायामूर्ति डी वाय चंद्रचूड़ की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2018 1:37 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र को निर्देश दिये कि कुष्ठ रोगियों को विकलांगता प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए अलग से नियम बनाने पर विचार करे ताकि वे आरक्षण तथा विभिन्न कल्याण योजनाओं का लाभ उठा पाएं. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायामूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायामूर्ति डी वाय चंद्रचूड़ की एक पीठ ने केंद्र और सभी राज्यों को कुष्ठ रोग को जड़ से समाप्त करने और इससे पीड़ित लोगों के पुनर्वास के निर्देश दिये.

पीठ ने कहा, ‘‘निजी एवं सरकारी अस्पतालों में चिकित्सीय स्टाफ को संवेदनशील बनाया जाए ताकि कुष्ठ रोगियों को भेदभाव का सामना ना करना पड़े.” शीर्ष अदालत ने कहा कि कुष्ठ रोगी अलग-थलग नहीं पडे़ं और सामान्य वैवाहिक जीवन जी सकें. इसके लिए जागरुकता अभियान चलाया जाना चाहिए. न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को ऐसे नियम बनाने के निर्देश दिए ताकि कुष्ठ रोग से ग्रस्त परिवारों के बच्चों के साथ सार्वजनिक और निजी स्कूलों में भेदभाव ना हो. शीर्ष अदालत ने पांच जुलाई को केंद्र को देश में कुष्ठ रोग को जड़ से मिटाने के लिए व्यापक कार्य योजना दायर करने का निर्देश दिया था.

उसने कहा था कि इस ‘‘इलाज योग्य” बीमारी को लोगों की जिंदगियां प्रभावित करने नहीं दिया जा सकता. पीठ ने वकील पंकज सिन्हा की उस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए जिसमें सरकार पर इस रोग से निपटने के लिए अपर्याप्त कदम उठाने के आरोप लगाए गये थे. इससे पहले अदालत ने कुष्ठ रोग से निपटने में ‘‘उदासीन” रवैये को लेकर अधिकारियों को फटकार लगायी थी और कहा था कि इसके ‘‘इलाज योग्य” होने के बावजूद यह अब भी देश में कलंक बना हुआ है.

Next Article

Exit mobile version