नयी दिल्ली : उषा इंटरनेशनल महिला सशक्तिकरण अभियान में योगदान के अंतर्गत गरीब महिलाओं को कपड़े की सिलाई-कटाई का हुनर सिखा कर उनके हाथ से तैयार आधुनिक डिजाइनर कपड़ों को बड़े- बड़े शोरूम में स्थान दिला रही है. कंपनी ने इसके लिए जगह जगह ‘ऊषा सिलाई लेबल’ क्लस्टर शुरू किए हैं .
इनमें ऊषा सिलाई केन्द्रों से निकली उद्यमी महिलाओं को आधुनिक परिधानों का प्रशिक्षण दिया जाता है. ऊषा इंटरनेशनल की सामाजिक सेवा इकाई की कार्यकारी निदेशक डा. प्रिया सोमैया ने ‘भाषा’ से कहा कि चार शहरों में करीब 40 महिला उद्यमियों ने आधुनिक परिधान तैयार करने का काम शुरू किया है.
आधुनिक डिजाइनर कपड़े जयपुर में कालाडेरा, अहमदाबाद में ढोलका, पश्चिम बंगाल में मास्तिकारी और पुड्डुचेरी में तैयार किये जा रहे हैं. इन केन्द्रों में तैयार कपड़ों को इस साल फरवरी में मुंबई में आयोजित ‘लक्मे फैशन वीक’ में भी प्रदर्शित किया गया. इन कपड़ों को देशभर में ओगान शोरूम श्रृंखला के जरिये बाजार में उतारा गया. ये शोरूम दिल्ली, हैदराबाद और मुंबई में है. डा. सोमैया ने ऊषा इंटरनेशनल लिमिटेड के चेयरमैन कृष्ण श्रीराम के हवाले से कहा है कि जल्द ही ऐसे महिला उद्यमी केन्द्रों की संख्या बढ़ाई जायेगी.
उन्होंने कहा ‘‘वह (श्रीराम) चाहते हैं कि देश के हर राज्य में इस तरह के केन्द्र हों ताकि अधिक से अधिक गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की जा सके.” ऊषा के सहयोग से देशभर में दूरदराज ग्रामीण इलाकों में आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई सिखाने के लिये 16,696 सिलाई स्कूल चल रहे हैं. ये स्कूल गैर-सरकारी संस्थानों की मदद से चल रहे है. सात साल पहले शुरू किये गये इस अभियान के तहत अब तक कुल मिलाकर तीन लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. इन्हीं प्रशिक्षण स्कूलों से निकलकर कुछ उद्यमी महिलायें आगे आईं हैं जिन्हें बाद में आधुनिक डिजाइनर कपड़ों का बकायदा प्रशिक्षण दिया गया.
उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने भी राज्य में 3,500 सिलाई स्कूल चलाने के लिये उषा से सहयोग मांगा है. राज्य की पश्चिम बंगाल अनुसूचित जाति जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास एवं वित्त निगम की भागीदारी में यह काम किया जायेगा. डा. सोमैया ने बताया कि कंपनी स्वयं सेवी संगठनों के साथ मिल कर जाफना (श्रीलंका), नेपाल और भूटान में भी सिलाई स्कूल शुरू किए हैं.