नयी दिल्ली : भगोड़े कारोबारी विजय माल्या से संबंधित प्रकरण में राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग के शासनकाल में नियमों को ताक पर रखकर माल्या की कंपनी को कर्ज पर कर्ज दिया गया, ऐसे में कांग्रेस और उसके नेता स्पष्ट करें कि उनके बीच क्या ‘लेन-देन’ हुआ.
भाजपा के वरिष्ठ नेता जावड़ेकर ने कहा, ‘यह उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की कहावत को चरितार्थ करता है. यह कर्ज का मामला संप्रग के काल का है. संप्रग के समय में ही माल्या के कर्ज का पुनर्गठन किया गया.’ उन्होंने कहा कि संप्रग के शासन के दौरान कर्ज पर कर्ज दिया जाता रहा, सभी बैंक नियमों को ताक पर रखकर ऐसा किया गया. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए जावड़ेकर ने कहा, ‘और इसलिए यह कांग्रेस का पाप है तथा हम भगोड़े के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.’ उन्होंने आरोप लगाया कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस और उसके नेताओं ने किंगफिशर से फायदा उठाया. कांग्रेस का अब पर्दाफाश हो गया है.
मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि कांग्रेस और उसके नेताओं को अब ऐसे आरोप लगाने की हिमाकत नहीं करनी चाहिए. जावड़ेकर ने कहा कि कांग्रेस और उसके नेता को ऐसे आरोप लगाने की बजाय अब यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनके और माल्या के बीच क्या ‘लेन-देन’ हुआ? उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस नीत पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने विजय माल्या को कर्ज क्यों दिये और रिजर्व बैंक के ऊपर दबाव क्यों डाला गया. इन सबका राहुल गांधी और कांग्रेस को जवाब देना चाहिए. भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने विजय माल्या को बचाया, कांग्रेस नीत सरकार ने किंगफिशर को बेलआउट पैकेज दिया. इस मामले में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार एवं कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने तो भगोड़ों के खिलाफ सख्त कानून लाने का काम किया है.
उल्लेखनीय है कि किंगफिशर के पूर्व प्रमुख ने लंदन में कहा था कि उसने देश छोड़ने से पहले अरुण जेटली से मुलाकात की थी और बैंकों पर अपने बकाये संबंधी मामले का निपटारा करने की पेशकश की थी. माल्या के इन आरोपों को हालांकि वित्त मंत्री ने गलत करार देते हुए खारिज किया था. इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को अरुण जेटली पर माल्या के साथ ‘मिलीभगत’ का आरोप लगाते हुए कहा था कि जेटली को यह बताना चाहिए कि यह सब उन्होंने खुद से किया या इसके लिए ऊपर से उन्हें आदेश दिया गया था. राहुल ने शुक्रवार को सरकार पर फिर हमला बोला और कहा कि यह समझ से परे है कि इतने बड़े मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुमति के बिना सीबीआई ने लुकआउट नोटिस बदला होगा.