मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट में खुला देश का पहला जेंडर-न्यूट्रल हॉस्टल
अनुच्छेद 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी हिंदुस्तान में लोग अपनी सोच बदलने को तैयार नहीं हैं. जाति, धर्म, लिंग और अमीर-गरीब को लेकर होने वाले भेदभाव को तो छोड़ ही दीजिए, समाज में अब एक नये किस्म का भेदभाव शुरू हुआ है. इसी भेदभाव को लेकर पिछले कई सालों से एलजीबीटीक्यू […]
अनुच्छेद 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी हिंदुस्तान में लोग अपनी सोच बदलने को तैयार नहीं हैं. जाति, धर्म, लिंग और अमीर-गरीब को लेकर होने वाले भेदभाव को तो छोड़ ही दीजिए, समाज में अब एक नये किस्म का भेदभाव शुरू हुआ है. इसी भेदभाव को लेकर पिछले कई सालों से एलजीबीटीक्यू समूह के लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को खारिज करके पहला कदम इस बराबरी की ओर बढ़ाया है. अब देश के एक प्रमुख कॉलेज ने भी इस समुदाय के लोगों के लिए समान अधिकारों की पहल शुरू की है. मुंबई का टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज देश का पहला इंस्टीट्यूट बन गया है, जिसने जेंडर-न्यूट्रल हॉस्टल की शुरुआत की है. इस हॉस्टल में लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांजेंडर, क्विर के साथ-साथ अन्य छात्र भी साथ रह सकते हैं.
कॉलेज का ग्राउंड फ्लोर बना हर तरह के छात्रों का अड्डा
अन्य हॉस्टल्स की तरह इस हॉस्टल में भी पहले सामान्य छात्रों के हॉस्टल में एलजीबीटीक्यू नहीं रह सकते थे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एलजीबीटीक्यू लोगों को भी एक साथ रहने का कानूनी अधिकार मिल चुका है.
कॉलेज के क्विर समुदाय के छात्र संगठन की मांग के बाद कॉलेज प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही जेंडर-न्यूट्रल हॉस्टल की अधिसूचना जारी की. कॉलेज ने कहा कि हर वर्ग के छात्र हॉस्टल में कमरे के लिए आवेदन कर सकते हैं. इस दौरान अधिकतर छात्रों ने इसका समर्थन किया, जबकि कुछ छात्रों ने संस्थान द्वारा जारी अधिसूचना पर नाराजगी जतायी. कॉलेज के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित हॉस्टल-चार अब हर लिंग के छात्रों का अड्डा बन चुका है. फिलहाल 20 छात्रों वाले इस हॉस्टल में 17 छात्र ही रह रहे हैं.
हॉस्टल का नाम है इंद्रधनुष
हॉस्टल में रहने वाले एक छात्र अकुंठ का कहना है कि मुझे खुशी है कि मैं इस हॉस्टल का हिस्सा हूं. यहां पर हर वर्ग के छात्रों को बराबर अधिकार दिये गये हैं. इंद्रधनुष नाम का यह हॉस्टल हमें इंद्रधनुष के रंगों की तरह एक साथ रहने की प्रेरणा देता है. ऐसे ही एक छात्र मिथुन का कहना है कि मैं रहने के लिए एक सुरक्षित जगह की तलाश कर रहा था. अब मैं इस हॉस्टल का हिस्सा हूं. मैं यहां पर पुरुषों के साथ बिना डर के एक ही कमरे में रहता हूं.
शानदार तरीके से बना हुआ है हॉस्टल, लगे हैं इंद्रधनुष की तरह रंगीन झंडे, स्कार्फ और पोस्टर
कॉलेज का यह हॉस्टल बेहद शानदार तरीके से बना हुआ है. यहां इंद्रधनुष की तरह रंगीन झंडे, स्कार्फ और पोस्टर लगे हुए देखे जा सकते हैं. हॉस्टल में दो सीट वाले 10 कमरे ट्रांसजेंडर व उनके सहयोगियों के हैं. यहां छात्रों के रहने की हर सुविधा मौजूद है. मेल-फीमेल के लिए अलग-अलग बाथरूम और टॉयलेट की भी सुविधा है. इस हॉस्टल के बनने में न सिर्फ छात्रों व स्टूडेंट यूनियन का हाथ है, बल्कि इसमें टीचर्स और कॉलेज प्रशासन ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.