नयी दिल्ली: लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करने में नाकाम होने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के शीर्ष नेतृत्व में अब मतभेद उभरकर सामने आ गया है. वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव ने आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है तो पार्टी ने शाजिया इल्मी को वापस लाने का प्रयास शुरु कर दिया है.
आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के नेतृत्व को आलोचना का सामना करना पडा. पार्टी में मतभेद योगेंद्र यादव और मनीष सिसोदिया के बीच हुए पत्र व्यवहार के बाद खुलकर सामने आ गया.केजरीवाल के निकट साथी सिसोदिया ने यादव पर आरोप लगाया कि वह केजरीवाल को निशाना बना रहे हैं और आंतरिक मामलों को सार्वजनिक कर रहे हैं.
आज यादव और केजरीवाल ने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. पार्टी ने इस मुद्दे को तवज्जो नहीं देने का प्रयास करते हुए कहा कि अलग अलग राय अपराध नहीं है और इससे पार्टी में लोकतंत्र प्रदर्शित होता है.
आप के नेता संजय सिंह ने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई. पार्टी के लोग एक दूसरे मेल कर सकते हैं. यह एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है और यह पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को प्रदर्शित करता है.’’
यादव ने पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) को लिखे पत्र में कहा, ‘‘कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों में यह व्यापक धारणा है कि पार्टी व्यक्ति पूजा की बीमारी से घिर गई है जिससे देश की दूसरी पार्टियां भी घिरी हुई हैं.’’ पार्टी के नेता नवीन जयहिंद से मतभेद के बाद यादव ने पिछले दिनों पीएसी से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने पत्र में अपने इस्तीफे की वजह भी बताई है.
यादव ने कहा, ‘‘पार्टी के बडे फैसलों में एक व्यक्ति की इच्छा झलकती है. जब उसका दिमाग बदलता है तो पार्टी अपने कदम बदल देती है. नेता से करीब होना संगठनात्मक भूमिकाएं और जिम्मेदारियां का आधार है.’’ आप नेता ने कहा, ‘‘जब सभी फैसलों और सफलताओं का श्रेय एक व्यक्ति को दिया जाता है तो सभी आरोप भी एक ही व्यक्ति पर जाएंगे.’’
यादव ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं कि अरविंद भाई पार्टी में निर्विवादित नेता हैं. परंतु नेता और सुप्रीमो में फर्क होता है. नेता के प्रति स्नेह और आकर्षण अक्सर व्यक्ति पूजा में तब्दील हो जाता है जिससे संगठन और नेता दोनों को नुकसान होता है. ऐसी हमारी पार्टी में होता दिख रहा है.’’