चीन से नेपाल की मित्रता पर बोले सेना प्रमुख – भारत की ओर झुकाव रखना उसकी मजबूरी

पुणे : सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने रविवार को कहा कि नेपाल और भूटान जैसे देशों को भौगोलिक स्थिति की वजह से भारत के प्रति झुकाव रखना होगा. जनरल रावत बहुपक्षीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग-क्षेत्र प्रशिक्षण सैन्य अभ्यास के लिए बंगाल की खाड़ी की पहल (बिम्सटेक-माइलेक्स 18) के समापन समारोह से इतर यहां संवाददाताओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2018 8:48 PM

पुणे : सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने रविवार को कहा कि नेपाल और भूटान जैसे देशों को भौगोलिक स्थिति की वजह से भारत के प्रति झुकाव रखना होगा. जनरल रावत बहुपक्षीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग-क्षेत्र प्रशिक्षण सैन्य अभ्यास के लिए बंगाल की खाड़ी की पहल (बिम्सटेक-माइलेक्स 18) के समापन समारोह से इतर यहां संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे.

चीन की ओर नेपाल के बढ़ते झुकाव पर पूछे गये प्रश्न का उत्तर देते हुए रावत ने कहा, नेपाल और भूटान जैसे देशों को भूगोल की वजह से भारत की ओर झुकाव रखना होगा. भूगोल भारत की ओर झुकाव की वकालत करता है और जहां तक गठजोड़ (चीन के साथ) की बात है तो यह अस्थायी चीज है. पाकिस्तान और अमेरिका के उदाहरण देते हुए जनरल ने दावा किया कि इस तरह के संबंध अस्थायी हैं और वैश्विक स्तर पर बदलते परिदृश्य के साथ बदलनेवाले हैं. उन्होंने कहा, इस बात का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध हैं. ये अब 70 साल पहले की तरह नहीं हैं. इसलिए हमें इन सभी मुद्दों को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है. हमें अपने देश को मजबूत रखने पर ध्यान देना होगा.

रावत ने कहा कि भारत का नेतृत्व पड़ोसी देशों के साथ संबंध विकसित करने में विश्वास करता है. उन्होंने कहा, हमारा देश बड़ा है और अगर हम अगुवाई करते हैं, तो सब अनुसरण करेंगे. इसलिए हम इस ओर बढ़े हैं. उन्होंने दावा किया कि भारत अर्थव्यवस्था के चलते चीन को प्रतिस्पर्धी मानता है. रावत ने कहा, वे बाजार की ओर देख रहे हैं और हम भी. दोनों में प्रतिस्पर्धा है. जो भी बेहतर करेगा, जीतेगा. भविष्य में बिम्सटेक वार्ता में अवैध आव्रजन का मुद्दा जोड़े जाने की संभावना के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह नयी बात नहीं है. रावत ने कहा, हमेशा से आर्थिक रूप से कमजोर देश से मजबूत देश की ओर विस्थापन होता है. इसलिए समान प्रगति महत्वपूर्ण है. जब तक विकास का समान और सही वितरण नहीं होता, यह बात खत्म नहीं होनेवाली.

इससे पहले रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने सैन्य समारोह में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि नेपाल ने पर्यवेक्षक भेजकर इसमें भाग लिया है. उन्होंने कहा, उन्होंने (नेपाल ने) पिछले सभी सम्मेलनों में भाग लिया है. इस बार यह सैन्य अभ्यास है और इसी दौरान उनकी कमान बदल गयी. उन्होंने कहा, नेपाल ने अपने पर्यवेक्षक भेजे हैं अत: उनकी ओर से भागीदारी है. हमें अन्य किसी कोण से देखने की जरूरत नहीं है. सप्ताह भर चलनेवाले सैन्य अभ्यास में भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान की सैन्य टुकड़ियां भाग ले रही हैं, वहीं नेपाल और थाइलैंड ने इसमें भाग नहीं लिया है और पर्यवेक्षकों को भेजा है.

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